New Delhi: सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन कानून पर दूसरे दिन की सुनवाई हुई। और इस सुनवाई के दौरान एक बार फिर सरकार की तरफ से पेश होने वाले वकीलों की क्लास लगाई गई. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश को समझाने की काफी कोशिश की लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनकी बातें नहीं सुनीं। और सुप्रीम कोर्ट ने इन दो दिनों में दिखा दिया कि आगे इस कानून की स्थिति क्या होने वाली है। आज की सुनवाई में सरकारी वकील के प्रयासों के बावजूद, मुख्य न्यायाधीश इस बात पर अड़े रहे कि जब तक मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, तब तक इस नव अधिनियमित कानून की धाराओं को लागू नहीं किया जाएगा।
और साथ ही, मुख्य न्यायाधीश ने एक बार फिर सरकारी वकील को यह कहने के लिए मजबूर किया कि वक्फ अधिनियम की इन धाराओं को लागू नहीं किया जाएगा। इसलिए, प्रतेश मेहता को आज सुप्रीम कोर्ट के समक्ष ये बातें रिकॉर्ड पर कहनी पड़ीं। तुषार मेहता ने क्या कहा? तो पहली बात जो उन्होंने कही वह यह थी कि जब तक यह मामला अदालत में लंबित है, तब तक वक्फ बोर्ड, जो राज्य स्तर पर है, और वक्फ परिषद, जो केंद्रीय स्तर पर है, इसमें शामिल रहेंगे। इसमें किसी गैर-मुस्लिम को नियुक्त नहीं किया जाएगा।
यानी नए वक्फ कानून के तहत वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में गैर मुस्लिमों को भी शामिल करने का प्रावधान है, इसलिए आज सरकारी वकील को कोर्ट के सामने कहना पड़ा कि जब तक इस पर फैसला नहीं हो जाता, सरकार ऐसा नहीं करेगी। इसके अलावा दूसरी बात जो तुषार मेहता ने कही वो ये कि अगली सुनवाई तक सरकार की तरफ से किसी भी वक्फ संपत्ति को डी-नोटिफाई नहीं किया जाएगा। और कोर्ट ने इन सारी बातों को रिकॉर्ड पर लिया और कोर्ट ने केंद्र सरकार को 7 दिन के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद, भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मामले को अगली सुनवाई के लिए स्थगित कर दिया और अगली सुनवाई की तारीख 5 मई दोपहर 2 बजे तय की।
क्योंकि सरकारी वकील यानी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता बार-बार समय मांग रहे थे और कह रहे थे कि, “हमें 7 दिन का समय दीजिए” दरअसल सुप्रीम कोर्ट 16 अप्रैल को ही फैसला सुनाने वाला था, क्योंकि कोर्ट कई चीजों को लेकर चिंतित था, और जिस तरह से कपिल सिब्बल ने बिंदुवार कहा था कि यह कानून भरतीय संबिधान के खिलाफ है, उससे सीजेआई काफी आश्वस्त थे और वह भी समझते थे कि इससे मौलिक अधिकारों का हनन होता है.
इसीलिए सीजेआई ने 16 अप्रैल को एक जगह तुषार मेहता से पूछा था कि क्या वह हिंदू बोर्ड में किसी मुस्लिम को नियुक्त करेंगे। इसलिए वे कोई उचित जवाब देने में असमर्थ थे। तो, ऐसी ही कई बातों के आधार पर CJI संजीव खन्ना 16 अप्रैल को ही फैसला सुनाने वाले थे, लेकिन तुषार मेहता ने समय मांगते हुए कहा, “हमारी बात ध्यान से सुनिए।” तो CJI ने कहा कि ठीक है, हम आपकी बातें 17 तारीख को सुनेंगे और 17 अप्रैल को तुषार मेहता और उनके दूसरे वकीलों की बातें सुनीं तो सीजेआई को उनकी बातें प्रभावित नहीं कर सकीं.
वे आज भी वही पुरानी बातें कर रहे थे, कह रहे थे, “माई लॉर्ड, हमें लाखों की संख्या में प्रतिनिधित्व प्राप्त हुआ है, और उसके बाद, इसमें कुछ संशोधन किए गए हैं, और यह कानून मुस्लिम समुदाय की भलाई के लिए बनाया गया है।” यदि यह कानून लागू नहीं किया गया तो इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे। तुषार मेहता ने कहा कि अगर आप पूछें तो मैं ऐसे कई उदाहरण दिखा सकता हूं जहां मुस्लिम समुदाय खराब हालत में हैं और वक्फ बोर्ड ने कुछ नहीं किया, तो सीजेआई ने कहा कि इस तरह से कई सकारात्मक कहानियां भी सामने आएंगी। तो फिर आप क्या करोगे?
इस तरह सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा किये गए वक्फ संशोधन पर रिक लगा दी और अगली सुनवाई कि तारिख 5 मई कर दी|