Monday, June 2, 2025
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गर्म सिंदूर पर घिरे मोदी.

मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गर्म है। अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है।  

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Rajasthan:  पीएम मोदी के भाषण “अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 मई 2025 को राजस्थान के बीकानेर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए “ऑपरेशन सिंदूर” के संदर्भ में एक भावनात्मक और आक्रामक भाषण दिया। इस भाषण में उन्होंने सेना के नाम पर ऑपरेशन सिंदूर के बहाने वोट मांगने की कोशिश की और कहा,

तीनों सेनाओं ने मिलकर ऐसा चक्रव्यूह रचा कि पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। पाकिस्तान एक बात भूल गया कि अब मां भारती का सेवक मोदी यहां सीना तानकर खड़ा है। मोदी का दिमाग ठंडा है, ठंडा रहता है, लेकिन मोदी का लहू गर्म है। अब तो मोदी की नसों में लहू नहीं, गर्म सिंदूर बह रहा है।

यह बयान 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना द्वारा किए गए “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद आया, जिसमें पाकिस्तान के 9 ठिकानों को नष्ट किया गया था।

लोगों की प्रतिक्रियाएँ

पीएम मोदी के इस बयान और भाषण ने सोशल मीडिया, राजनीतिक हलकों और जनता के बीच व्यापक चर्चा छेड़ दी है। लोगों की प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार रहीं:

किसी ने तंज कसते हुए लिखा, “2014 में कहा था ‘मेरी रगों में पैसा बहता है,’ अब ‘सिंदूर’… इनकी रगों में सिर्फ़ फ़ायदा बहता है!”

और किसी ने लिखा, गरम सिंदूर नरम सिंदूर तो शायद पहली बार सुने हैं बेशर्म सिंदूर पहली बार देखें

किसी ने कहा, एक चुटकी सिंदूर की कीमत तुम क्या जानो ….. बाबू, बेरोजगारी के मुद्दे गायब कर देगी, एक चुटकी सिंदूर,   बिहार का इलेक्शन निपटा देगी, एक चुटकी सिंदूर, सवाल पूछने पे देशद्रोही बना देगी, एक चुटकी सिंदूर.

और किसी ने ये लिखा, सिंदूर ऐसा कैमिकल युक्त पाउडर है जो गलती से भी किसी के मुँह में चला जाये तो उसकी मोत हो जाती है और इसके नसों में बह रहा है.

किसी ने लिखा, चुटकी भर “सिंदूर” की कीमत तुम क्या जानो बाबू ! जो लोग मांग में भर कर खर्चा नहीं उठा पाते वो अपनी नसों में “गर्म सिंदूर” दौड़ा लेते हैं!

किसी ने ये भी कहा, तभी मैं सोचूं कोई इंसान इतना जहरीला कैसे हो सकता है वो क्या है न सिंदूर में पारा नाम का केमिकल मिलाया जाता है और वो जहरीला होता है ,,और यही सिंदूर उनके रगो में बह रहा खैर हमारे रगो में तो खून बहता है

इसके अलावा देश के विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई, और कुछ लोगों ने इस ब्यान को सेना के नाम पर वोट मांगने वाला ब्यान कहा.

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    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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