Uttarakhand: उत्तराखण्ड, भारत के उत्तर में स्थित एक महत्वपूर्ण राज्य है, जिसका इतिहास प्राचीन समय से ही समर्द्ध और विविध है. यह प्राचीन समय से ही धार्मिक और संस्कृतिक महत्व रखता है. उत्तराखण्ड को “देवभूमि” कहा जाता है, पहाड़, नदियाँ और हरी भरी घाटियाँ इसे विशेष बनाते हैं.
उत्तर प्रदेश के 13 हिमालयी जिलों को काटकर उत्तराखण्ड राज्य का गठन 9 नवंबर 2000 को किया गया था. यह भारत का 27वां राज्य है और हिमालयी राज्यों में 11वां स्थान रखता है. उत्तराखण्ड का गठन पहाड़ी क्षेत्रों की विशेष ज़रूरतों और विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया. यह राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पर्वतीय स्थलों और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है. इस राज्य के गठन से क्षेत्र के लोगों को स्वायत्तता मिली और विकास के नये अवसर खुले.
उत्तराखण्ड में किसान पारंपरिक तरीकों से खेती करते हैं, जैसे तिरछी खेती, जिसमें खेतों को ढलानों पर बनाया जाता है. कई किसान जैविक खेती को बढ़ावा दे रहें है. इसमें रासायनिक ऊर्वरकों के बजाय प्राकृतिक खाद का उपयोग करते हैं. बारिश पर निर्भरता के कारण, किसान वर्षा जल संचयन और प्राकृतिक जल स्त्रोतों का उपयोग करते हैं. छोटे तालाब और नाले बनाए जाते हैं. यहाँ धान, गेंहूँ, जौ, आलू, मक्का, फल जैसे और औषधीय पौधों की खेती की जाती है. इन फसलों की खेती के लिए विभिन्न स्थानीय तकनीकें और जलवायु परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखा जाता है.
उत्तराखंड की संस्कृति में पारंपरिक कपड़े विशेष महत्व रखते हैं, जैसे महिलाओं का पहनावा घागरा चोली और पुरुष धोती कुरता पहनते हैं. त्योहारों और समारोहों पर लोग अधिक रंगीन और भव्य कपड़े पहनते है. यहाँ कपड़े पहनने की शैली विभिन्न समुदायों, मौसम और अवसरों के अनुसार भिन्न होती है. इन कपड़ो के माध्यम से उत्तराखंड की समर्द्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को जीवित रखा जाता है.
उत्तराखण्ड में सबसे ज्यादा गढ़वाली और कुमाऊँनी भाषा बोली जाती है. इसके अलावा हिंदी भी राज्य की आधिकारिक भाषा है, शिक्षा, प्रशासन और मीडिया में प्रमुखता से प्रयोग होती है. यहाँ का प्रचलित गढ़वाली और कुमाऊँनी नृत्य है. इन नृत्यों के माध्यम से स्थानीय संस्कृति, परंपरा और सामुदायिक जीवन का उत्सव मनाया जाता है. आलू के गुटके यहाँ का प्रसिद्ध खाना है, इसके इलावा चैन्सू और जंगोरा की खीर भी लोकप्रीय है.
उत्तराखण्ड में सबसे प्रसिद्ध केदारनाथ मन्दिर है, जो रुद्रप्रयाग ज़िले में हिमालय की लगभग 3,583 मीटर की उंचाई पर स्थित है. यह मंदिर हिन्दू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ यात्रा स्थल है और हर साल लाखों श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. यहाँ कई प्रमुख पर्यटन स्थल है, जैसे हरिद्वार, ऋषिकेश, मसूरी और बद्रीनाथ जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता, धार्मिक महत्व और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. उत्तराखण्ड पर्यटकों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है.