Monday, April 28, 2025
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बिना हाथों के शीतल देवी लगाती हैं ‘अर्जुन’ जैसा निशाना

अपनी शारीरिक चुनोतियों से विचलित हुए बिना शीतल ने निडरता से इस खेल को अपनाया. अपने पैरों से उसने धनुष को पकड़ा, दांतों से डोरी को जोड़ा और अपने कंधे से डोरी को खींचा

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Jammu & Kashmir: शीतल देवी, एक प्रेरणादायक युवा खिलाड़ी हैं, जिनका जन्म दोनों हाथों के बिना हुआ था. उनके जीवन में कई कठिनाइयाँ आई, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. शीतल ने 2024 पैरालंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश का नाम रौशन किया है. उनकी यह जीत अन्य खिलाड़ियो के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गई है.

शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू कश्मीर के किश्तवाड़ ज़िले के लोई धर नामक गांव में हुआ था. इनके पिता किसान है, और परिवार की स्तिथि को सुधारने के लिए उनकी माँ बकरी पालन करती थीं. शीतल की एक छोटी बहन भी है, जिसका नाम शिवानी है. शीतल ने अपने परिवार के समर्थन से सभी कठिनाइयों का सामना किया और आत्मनिर्भर बनने की कोशिश की.

शीतल की बचपन से तीरंदाज़ी में रूचि थी उन्होंने 2021 में इस खेल की शुरुआत की. अपनी शारीरिक चुनोतियों से विचलित हुए बिना शीतल ने निडरता से इस खेल को अपनाया. अपने पैरों से उसने धनुष को पकड़ा, दांतों से डोरी को जोड़ा और अपने कंधे से डोरी को खींचा. भारतीय सैनिकों द्वारा आयोजित एक युवा कार्यक्रम में उनके आत्मविश्वास और दृढ़ता को देखकर कोच स्वामी मेज़र ने उन्हें प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया. शुरूआती प्रयासों में असफल रहने के बावजूद कोच ने उन्हें प्रोस्थेटिक्स के माध्य्म से प्रशिक्षण देने की योजना बनाई.

2022 में कोच कल दीप विद्वान ने शीतल की कहानी सुनी उसे सुनकर वह बहुत प्रभावित हुए और उन्हें कटरा में वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड तीरंदाज़ी अकादमी में नामांकित किया. शीतल के लिए विशेष धनुष तैयार किया गया, जिससे वह खेल सकें. केवल 6 माह में शीतल ने महाद हासिल कर लिया और खेलों में शानदार प्रदर्शन करने लगी. कुछ ही समय बाद शीतल ने जूनियर राष्ट्रीय तीरंदाज़ी चैम्पियनशिप में भाग लिया, जहाँ से उन्होंने एथलीट के रूप में अपने करियर की शुरुआत की.

शीतल देवी की अद्वितीय प्रतिभा को देखते हुए भारत सरकार ने 2023 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अपनी तीरंदाज़ी में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए कठिन मेहनत की है. उनके समर्पण और धैर्य ने उन्हें इस सफलता तक पहुंचाया. यह हमे दर्शाती है कि विकलांगता किसी भी व्यक्ति को उसके सपनों को हासिल करने से नहीं रोक सकती है. शीतल का यह अद्वितीय प्रदर्शन न सिर्फ उन्हें बल्कि पूरे देश को गर्वित करता है.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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