Assam: असम, भारत के उत्तरपूर्व में स्थित एक सुंदर राज्य है, जिसे चाय का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य माना जाता है. यहाँ की चाय न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. असम की चाय के बागान और खूबसूरत परिदृश्य इसे “Tea city of India” का दर्जा देते है.
असम भारत का एक ऐसा राज्य है जहाँ लगभग 1/5 लोग चाय के क्षेत्र में काम करते हैं. यहाँ की चाय कई देशों में निर्यात की जाती है. रूस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ईरान जैसे देशों में असम की चाय की मांग लगातार बढ़ रही है. आंकड़ो के मुताबिक असम हर साल 500 मिलियन किलोग्राम से अधिक चाय का उत्पादन करता है. यहाँ की चाय में सुबह की चाय के लिए ख़ास इंग्रेडिएंट पाया जाता है, जो इसे विशेष बनाता है.
असम में चाय के पौधे की खोज रॉबर्ट ब्रूस ने 1823 में की थी. उन्होंने सिंघों जनजाति के प्रमुख बास ग्राम से चाय के पौधों के बारे में जानकारी प्राप्त की. इस खोज के बाद असम में चाय का उत्पादन तेज़ी से बढ़ा और यह राज्य की पहचान बन गई. चाय की इस समृद्ध विरासत को सिंघों जनजाति के योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा.
सर विलियम मैककेचर ने 1930 में सीटीसी (Cut, Tear, Curl) तरीके का आविष्कार किया. यह एक प्रोसेसिंग तकनीक है, जिसमें चाय की पत्तियां तेज़ दांत वाले रोलर्स से गुज़रती हैं. यह रोलर्स पत्तियों को कुचलकर और कर्ल करके छोटे, सख्त छर्रों में बदल देते हैं, जो पैकिंग के लिए अनुकूल होते है. इस प्रक्रिया के कारण असम की चाय की गुणवत्ता में बढ़ोतरी हुई है. यहाँ की चाय का निर्यात भी अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में बड़ा हिस्सा रखता है.
असम की चाय के बागान आमतौर पर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होते हैं, जहाँ वर्षा और उपयुक्त जलवायु की उपलब्धता होती है. चाय की पत्तियों को तोड़ने के बाद उन्हें कुछ घंटे धूप में सुखाया जाता है. इसके बाद, पत्तियों को ऑक्सीडाइज़ किया जाता है, जिससे चाय का रंग और स्वाद विकसित होता है. असम की चाय में एंटीऑक्सीडेंट होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं. यह पाचन में मदद करती है, ऊर्जा बढ़ाती है, और हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है.
असम की चाय की खासियत इसका अनूठा स्वाद, गहरा रंग और सुगंध है, जो इसे और विशेष बनाती है. यहाँ की चाय उद्योग हजारों लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाता है. राज्य सरकार चाय बागान की प्रगति और चाय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाए चल रही है. यहाँ की चाय न केवल लोगों की पसंद है, बल्कि यह राज्य की सांस्कृतिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है.