Sambhal: संभल शहर में स्थित शाही जामा मस्जिद इन दिनों विवादों के घेरे में है. हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि यह मस्जिद एक हिंदू मन्दिर को तोड़कर बनाई गई है. यह विवाद अब अदालत के आदेश पर हो रहे सर्वे से जुड़ा हुआ है, जिसे लेकर शहर में हिंसा और तनाव फैला हुआ है. आइये जानते है इस पूरे विवाद के बारे में.
संभल की जामा मस्जिद एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है, जो 1526 और 1530 के बीच बाबर के शासनकाल में बनी थी. यह मस्जिद 1920 में भारतीय पुरातत्व सर्वे (ASI) द्वारा संरक्षित की गई थी, जिसके बाद इसे एक राष्ट्रीय महत्व की इमारत माना गया. यह मस्जिद अपनी वास्तुकला और ऐतिहासिक महत्व के कारण भी प्रसिद्ध है. मस्जिद के सामने मुख्य सड़क पर हिंदू समुदाय के लोग रहते हैं, जबकि मस्जिद के चरों तरफ मुस्लिम समुदाय के लोग बसे हैं.
हिंदू पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद पहले एक मन्दिर हुआ करता था, जिसका नाम हरिहर मन्दिर था. उनका दावा है कि 1527-28 में बाबर के सेनापति ने श्री हरिहर मन्दिर को आशिंक रूप से ध्वस्त किया था, और इसके स्थान पर जामा मस्जिद का निर्माण कराया गया था. इसी दावे के लेकर अब अदालत में मामला चल रहा हैं, जिसमें हिंदू पक्ष ने याचिका दायर की है. वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह मस्जिद बाबर द्वारा बनवाई गई थी और यहां हमेशा मुसलमान नमाज़ अदा करते आ रहे हैं.
संभल में चल रहे इस विवाद ने शहर में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है. दोनों पक्षों के बीच जामा मस्जिद को लेकर क़ानूनी लड़ाई जारी है. अदालत के आदेश पर सर्वे का कार्य जारी है, लेकिन इसे लेकर जारी विरोध और हिंसा ने पूरे शहर को अशांत कर दिया है. यह संभावना है कि जैसे जैसे अदालत की कार्यवाही आगे बढ़ेगी, शहर में और भी विवाद और तनाव उत्पन्न हो सकते हैं. हालांकि, अदालत का फैसला इस मुद्दे को सुलझाने में अहम भूमिका निभा सकता है. संभल के नागरिकों के लिए यह समय बहुत ही संवेदनशील है.