Monday, April 28, 2025
No menu items!

महाकुंभ मेले में हुई भगदड़: प्रशासनिक लापरवाही या आस्था की अत्यधिक प्रबलता?

महाकुंभ में यह हादसा सिर्फ आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह दिल को छेद देने वाली तस्वीरों से जुड़ा हुआ है. कुछ तस्वीरें तो ऐसी थीं, जो इस दुःख को शब्दों से कहीं अधिक कह जाती हैं. एक महिला अपने मृत परिजन के शरीर को पकड़कर उसे जिंदा करने की कोशिश कर रही थी

Must Read
Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Prayagraj: महाकुंभ मेला जो हर 12 साल में एक बार होता है, भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक है. इस बार के कुंभ ने एक भयावह घटना का रूप लिया. प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान हुई भगदड़ ने कई परिवारों को जीवन भर के लिए तोड़ दिया. संगम तट के अलावा, सेक्टर 10 में ओल्ड जीटो रोड पर और सेक्टर 21 में उल्टा किला झूसी के पास भगदड़ की घटनाएं हुईं. इन घटनाओं में कई लोग घायल हुए, जबकि 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई.

महाकुंभ में यह हादसा सिर्फ आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह दिल को छेद देने वाली तस्वीरों से जुड़ा हुआ है. कुछ तस्वीरें तो ऐसी थीं, जो इस दुःख को शब्दों से कहीं अधिक कह जाती हैं. एक महिला अपने मृत परिजन के शरीर को पकड़कर उसे जिंदा करने की कोशिश कर रही थी, जबकि एक आदमी अपनी पत्नी के शव को काँधे पर उठाए इधर-उधर भटक रहा था. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर संवेदनाएं व्यक्त की है.

विवाद का एक प्रमुख बिंदु विआइपी कल्चर भी रहा है. जब महाकुंभ जैसे आयोजनों में लाखों श्रद्धालु आते हैं, तो उन्हें उचित व्यवस्था की उम्मीद होती है. महाकुंभ में विआइपी के लिए ख़ास इंतज़ाम किए जाते हैं, जैसे अलग रस्ते, विशेष सुरक्षा और बैठने के लिए अलग जगह. वहीं आम श्रद्धालुओं को घंटों तक इंतज़ार करना पड़ता है. यह फर्क न सर्फ मानसिक रूप से तनावपूर्ण है, बल्कि यह सुरक्षा के लिहाज़ से भी खतरनाक हो सकता है, जैसा कि इस घटना से साफ़ दिखा.

अगर इतिहास पर नज़र डालें, तो महाकुंभ के दौरान भगदड़ जैसी घटनाएं पुरानी हैं. 1986 में भी महाकुंभ में भगदड़ मचने से 200 से ज़्यादा लोग मारे गए थे. इसके अलावा उज्जैन, नासिक और हरिद्वार में भी कुंभ के दौरान ऐसी घटनाएं सामने आई थीं. इन घटनाओं से यह सिद्ध होता है कि यह हादसे सिर्फ आज की बात नहीं हैं, बल्कि समय समय पर इन्हें देखा गया है.

समस्या तब और बढ़ जाती है, जब धार्मिक आयोजनों को लेकर लोगों की आस्था इतनी प्रबल होती है कि वह अपनी जान की प्रवाह किए बगैर उस स्थान पर पहुंचने के लिए अडिग रहते हैं. इस स्थिति में प्रशासन को भीड़ को संभालने में परेशानी होती है. लेकिन क्या यही कारण है कि आयोजकों को व्यवस्थाओं की कमी का खामियाज़ा भुगतना पड़ता है?

Author

  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

    View all posts

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest News

वक्फ संशोधन एक्ट पर केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल.

New Delhi: वक्फ संशोधन अधिनियम पर केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल 2025 को हलफनामा दाखिल कर दिया है और...

More Articles Like This