Tuesday, April 29, 2025
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मोदी सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय पर उठ रहे हैं सवाल

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, जो पहले यूपीए सरकार के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लिए शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कई योजनाओं का हिस्सा था, अब एक दिखावे के रूप में प्रतीत हो रहा है

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

India: केंद्र की मोदी सरकार ने हमेशा सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया है, लेकिन इसके बावजूद अल्पसंख्यकों, खासकर मुस्लिम समुदाय, के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की योजनाओं को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं. मुस्लिम बुद्धिजीवियों और कांग्रेस नेताओं ने इस मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई है, जिसके तहत कई महत्वपूर्ण योजनाओं को या तो बंद कर दिया गया है, या उनका कार्यान्वयन कागज़ों तक सीमित रह गया है.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय, जो पहले यूपीए सरकार के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के लिए शैक्षिक, आर्थिक और सामाजिक पिछड़ेपन को दूर करने के लिए कई योजनाओं का हिस्सा था, अब एक दिखावे के रूप में प्रतीत हो रहा है. सरकार की योजनाओं में सबसे प्रमुख स्कॉलरशिप योजनाओं को ही ले लीजिए, जिनके लिए बजट में घोषणाएं तो की गई, लेकिन उनका वास्तविक लाभ अल्पसंख्यकों तक नहीं पहुंच सका.

इंस्टिट्यूट ऑफ पॉलिसी स्टडीज़ एंड एडवोकेसी के महासचिव डॉ. जावेद ए खान ने केंद्रीय बजट के बारे में कहा, ‘यह बजट हमेशा की तरह अल्पसंख्यकों के लिए निराशजनक रहा है’. उन्होंने बताया कि पिछले बजट में 3,183 करोड़ रूपये की घोषणा की गई थी, जिसे बाद में संशोधित कर सिर्फ 1,868 करोड़ रूपये कर दिया गया. इसके बावजूद इस फंड का उपयोग योजनाओं के लिए नहीं हो रहा है. जावेद ए खान ने यह भी कहा कि अगर सरकार छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए पैसे के इस्तेमाल को मंज़ूरी नही दे रही है, तो बजट में इसकी घोषणा क्यों की गई है? क्या यह सिर्फ दिखावा है?

आंकड़े यह साफ बताते हैं कि सकरार की योजनाओं का असली उद्देश्य पूर तरह से विफल हो गया है. 2021-22 से प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट ने छात्रवृत्ति योजनाओं के लिए आवंटित राशि के इस्तेमाल को मंज़ूरी नहीं दी. 2023-24 के बजट में प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के लिए 600 करोड़ रूपये की घोषणा की गई थी, लेकिन सिर्फ 189 करोड़ रूपये ही खर्च किए गए. इसी तरह प्रधानमंत्री और नागरिक संवाद योजना के तहत 540 करोड़ रूपये आवंटित किए गए थे, लेकिन महज़ 209 करोड़ रूपये ही खर्च हुए.

इन आंकड़ो से साफ़ ज़ाहिर है कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा आवंटित धन का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ कागज़ों पर ही है, जबकि असल में इसका लाभ उन तक नहीं पहुंच रहा है. कांग्रेस के पूर्व नेता और पूर्व सांसद मीम अफज़ल ने कहा, ‘वर्तमान सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय को धीरे-धीरे खत्म किया जा रहा है. कई योजनाएं बंद कर दी गई हैं और जो बाकी है, उन्हें भी जल्द ही समाप्त कर दिया जाएगा’. उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी का ‘सबका साथ और सबका विकास’ का नारा केवल मुसलमानों को छोड़कर बाकी सबके लिए है.

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य हज कमेटी ऑफ इंडिया और वक्फ संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बनाए रखना है. हालांकि, मंत्रालय के आस्तित्व के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या यह मंत्रालय वास्तव में अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए काम कर रहा है या फिर यह सिर्फ सरकारी नियंत्रण बनाए रखने का एक साधन है.

केंद्र की मोदी सरकार ने जो अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के तहत योजनाएं शुरू की थीं, उनका उद्देश्य अल्पसंख्यकों के सामाजिक और आर्थिक उत्थान को बढ़ावा देना था. लेकिन अब इन योजनाओं का ठप होना और बजट आवंटन का सही तरीके से उपयोग न होना इस बात को साबित करता है कि सरकार का प्राथमिक लक्ष्य अल्पसंख्यकों की भलाई नहीं है.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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