America: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी वादों को निभाते हुए अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से निर्वासित करना शुरू कर दिया है. इस योजना के तहत, बुधवार को एक सैन्य विमान ने अमृतसर के श्री गुरु रामदास जी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर भारतीय नागरिकों को लेकर उडान भरी. यह भारतीय नागरिक अमेरिका से डिपोर्ट किए गए थे, और इनमें से अधिकतर लोग पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के थे.
इस विशेष उड़ान में कुल 205 निर्वासित भारतीय थे, जिनमें से 33 लोग गुजरात से थे, 30 लोग पंजाब, बाकी के महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के थे. इन लोगों का अमेरिका में रहना अवैध था और उन्हें मैक्सिको-अमेरिका सीमा पर पकड़ा गया था. माना जाता है कि इन लोगों ने क़ानूनी तरीके से भारत छोड़ दिया था लेकिन डोंगी मार्ग से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश की थी.
गैरतलब है कि यह निर्वासन अमेरिका प्रशासन की व्यापक योजना का हिस्सा है, जिसमें विशेष रूप से ट्रंप प्रशासन ने अवैध प्रवासियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की घोषणा की थी. भारतीय नागरिकों का यह समूह उन प्रवासियों का हिस्सा था जिन्हें अमेरिकी कानून ने अवैध रूप से अपने देश में प्रवेश करने के कारण डिपोर्ट किया.
भारत सरकार ने इस मामले पर तुरंत प्रतिक्रिया दी है. पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री, कुलदीप सिंह धालीवाल ने कहा कि यह लोग अमेरिका अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे थे, और ऐसे में उन्हें निर्वासित करने के बजाय स्थायी निवास की अनुमति दी जानी चाहिए थी. उनका यह भी कहना था कि इन लोगों को किसी अन्य तरीके से अमेरिका में रखने की व्यवस्था की जानी चाहिए थी, बजाय इसके कि उन्हें देश से बाहर भेज दिया जाए.
पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने भी कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने पंजाब सरकार की ओर से यह संदेश दिया है कि हम अपने प्रवासियों को स्वीकार करेंगे और उनके लिए एक काउंटर स्थापित करेंगे. इसके अलावा, पंजाब सरकार केंद्रीय अधिकारियों के संपर्क में है ताकि इस पूरे घटनाक्रम के बारे में और जानकारी प्राप्त की जा सके और उचित कदम उठाए जा सकें.
यह निर्वासन एक व्यापक अमेरिका योजना का हिस्सा है, जिसमें भारत सरकार और ट्रंप प्रशासन के बीच अनौपचारिक सहयोग देखा जा रहा है. ऐसा माना जा रहा है कि भारत अमेरिका के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मज़बूत करने के लिए पर्दे के पीछे से काम कर रहा है. एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका से व्यापारिक तनाव को कम करने के लिए हाल ही में कई राजनयिक रियासतें दी हैं, और वह अगले सप्ताह वाशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात करने वाले हैं.
हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने अभी तक ताज़ा निर्वासन पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पहले की रिपोर्टों के मुताबिक, भारत और अमेरिका के बीच इस मुद्दे पर सहमती बन चुकी है. भारत ने 18,000 भारतीय अप्रवासियों को वापस लेने की सहमती दी थी. साथ ही, होमलैंड सिक्योरिटी विभाग का अनुमान है कि 2022 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में बिना दस्तावेज़ वाले भारतीय नागरिकों की संख्या लगभग 220,000 हो सकती है.
ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिकी आव्रजन नीति में कड़े बदलाव आए हैं. राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कुछ महीनों में ही आव्रजन कानूनों को और सख्त करने का निर्णय लिया है, और संघीय अधिकारियों को निर्वासन की प्रक्रिया को तेज़ करने का निर्देश दिया है. इनमें अमेरिकी सैनिकों को दक्षिणी सीमा पर तैनात करना और अधिक निर्वासन उड़ानों का आयोजन करना शामिल है.
अमेरिका में भारतीय प्रवासी एक बड़ी संख्या में हैं, और इनका योगदान अमेरिकी समाज और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण है. हालांकि, इन प्रवासियों की स्थिति अब पहले से ज़्यादा जटिल हो गई है, खासकर वह लोग जो अवैध तरीके से अमेरिका में प्रवेश कर चुके हैं. इस प्रकार के निर्वासन के बाद उनके लिए आगे की राह कठिन हो सकती है, लेकिन भारत सरकार और राज्य सरकारें इन नागरिकों की सुरक्षा और पुनर्वास के लिए तत्पर हैं.