पंजाब अपनी समर्द्ध संस्कृति के लीए जाना जाने वाला राज्य है, आज नशे की गंभीर समस्या का समना कर रहा है. 1980 के दशक से ड्रग्स का दायरा बढ़ा है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है. सरकार ने नशामुक्ति अभियानों की शुरुआत की, लेकिन इनका प्रभाव कम देखने को मिला है.
पंजाब में नशीली दवाओं का दुरूपयोग एक गंभीर महामारी का रूप ले चुका है, जिसनें पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है. हाल को देखते हुए युवाओं में इस समस्या का प्रभाव खासतौर पर चिंता का विषय बन गया है. पंजाब में हर तीसरा व्यक्ति शराब और तंबाकू के अलावा अन्य नशीली दवाओं का आदी है. यह स्तिथि न केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, बल्कि समाज पर भी बुरा असर डाल रही है.
पंजाब में नशाखोरी का संकट पिछले कुछ सालों से बढ़ता जा रहा है. हाल के आंकड़ो के अनुसार, भारत में लगभग 3 करोड़ लोग नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं. इनमें से कई लोग गंभीर रूप से प्रभावित हैं. नशे के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत होती है. पंजाब में नशे के सेवन करने वाले लोगों की संख्या लगभग 9 लाख है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का लगभग 5-6 प्रतिशत है. इनमें से करीब 3.5 लाख लोग गंभीर रूप से नशे के आदी हैं. यह स्तिथि बेहद चिंताजनक है.
पंजाब में नशीली दवाओं की महामारी के कई कारण सामने आ रहे है. इनमें सबसे प्रमुख है भयंकर बेरोज़गारी, हेरोइन की आसान और सस्ती उपलब्धता, और रणनीतिक स्थान. पिछले कई चुनावों से नशा एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है. हालंकि कुछ पुलिस वाले भी इनका साथ देते है, भ्रष्ट पुलिस के सहयोग से ड्रग्स तस्कर नए तरीके अपना रहे हैं. दवाओं की ढुलाई के लिए ड्रोन और समुद्री रास्तों का इस्तेमाल किया जा रहा है, 2023 में 107 ड्रोन गिराए गए है. सरकार ने इस नियंत्रण के लिए कुछ साल पहले स्पेशल टास्क फ़ोर्स का गठन किया था, जिसका कुछ समय तक प्रभाव देखा गया. लेकिन धीरे धीरे तस्करों में पुलिस का खौफ खत्म हो गया.
यदि इस समस्या पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा. “नशीली दवाओं का र्दुरूपयोग” एक भयंकर महामारी है, खासकर युवाओं में. इस स्तिथि को सुधारने के लिए आवश्यक है कि समाज, परिवार और सरकार मिलकर जागरूकता फैलाएं और नशे के खिलाफ ठोस कदम उठाएं. युवाओं के भविष्य को बचाने के लिए यह आवश्यक है की हम इस समस्या की गंभीरता को समझे और इसके समाधान को निकाले ताकि पंजाब को नशामुक्त बनाया जा सकें.
पंजाब में गधा उड़ान भी एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जिससे कई परिवार प्रभावित होते है. गधा उड़ान जिसे पंजाबी में ‘डंकी’ के नाम से जाना जाता है. इस तकनीक का इस्तेमाल करने वाले बेईमान ट्रैवल एजेंट भारी पैसा लेकर वीज़ा का झांसा देते हैं, और वादा किए गए वीज़ा को हासिल करने में असफल रहते हैं.