Friday, March 14, 2025
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झारखंड बिहार से क्यों अलग हुआ? (झारखंड का इतिहास)

झारखंड जिसे “जंगलो की भूमि” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में स्तिथ है. इसका इतिहास बहुत ही सम्रद्ध और विविध है, जिसमे आदिवासी संस्कृति, संघर्ष और विकास शामिल है.

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Jharkhand: मुगल काल में इस क्षेत्र को कुकरा के नाम से जाना जाता था. 1756 के बाद अंग्रेज़ यहाँ शासन करने आए और इस धरती को झारखंड नाम दिया गया. इस क्षेत्र में आदिवासी समुदायों की प्राचीन परम्पराएँ हैं. इनका इतिहास हज़ारों साल पुराना है. इनकी संस्कृति केवल एक धरोहर नहीं है, बल्कि यह राज्य आत्मा भी है.

झारखंड जिसे “जंगलो की भूमि” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में स्तिथ है. इसका इतिहास बहुत ही सम्रद्ध और विविध है, जिसमे आदिवासी संस्कृति, संघर्ष और विकास शामिल है. इसका इतिहास आदिवासी समुदायों से शुरू होता है, जो यहाँ के मूल निवासी है. इन समुदायों की अपनी अद्वितीय परम्पराएँ भाषा और रीति रिवाज़ हैं. आदिवासियों ने प्राक्रतिक संसाधनों का उपयोग करके अपनी जीवनशैली बनाई, जिसमें खेती, शिकार और वन उपज शामिल हैं.

झारखंड जो आज के समय में एक महत्वपूर्ण राज्य है, इसका गठन बिहार से अलग होकर हुआ. यह प्रक्रिया वर्ष 1912 में शुरू जब बिहार राज्य का गठन हुआ. बिहार को छोटानागपुर का पठार मिला जो आज का झारखंड है. बिहार के लिए एक महत्वपूर्ण प्राक्रतिक संसाधन बन गया. बिहार एक मैदानी क्षेत्र है, वहाँ खनिजों की कमी है. छोटानागपुर खनिज संसाधनों का भंडार है. इस प्राक्रतिक खज़ाने का दोहन शुरू हुआ, जिससे बिहार का खज़ाना बढ़ा, लेकिन छोटानागपुर के लोगों को इसका कोई लाभ नहीं मिला. वह अपनी असीम संपत्ति के बावजूद पिछड़ते चले गए.

बिहार सरकार ने कई बड़े उद्दोगों को झारखंड क्षेत्र में स्थापित नहीं होने दिया. उनका तर्क था कि यहाँ कृषि योग्य भूमि अधिक है. इस निर्णय के चलते, उद्दोगों के अभाव में रोज़गार के अवसर सीमित हो गए, आदिवासी समुदायों और स्थानीय लोगों की अपनी विशेषताएं और आवश्यकताएँ थीं. इन समुदायों ने अपनी संस्कृति, भाषा और विकास के लिए अलग राज्य की मांग की. 1915 में छोटानागपुर उन्नति संघ की स्थापना की गई, और 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना हुई. कई आन्दोलन और रैल्यों के बाद 1989 में एक जाँच सीमित का गठन किया गया जिसने झारखंड राज्य की आवश्यकता पर ज़ोर दिया. इन प्रयासों के बाद 15 नवम्बर 2000 को भारत के 28वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया. इसका गठन बिहार से अलग होकर हुआ, इसने आदिवासियों और अन्य समुदायों की आकांक्षाओं को नया जीवन दिया.

झारखंड आज अपने इतिहास को पीछे छोड़कर विकास की नई राह पर अग्रसर है. वह अपनी संस्कृति और संसाधनों के साथ आगे बढ़ रहा है. झारखंड का इतिहास केवल संघर्ष और संस्कृति का नहीं, बल्कि विकास की दिशा में उठाए गए कदमों का भी है. उन्होंने अपने अधिकारों के लिए कई लड़ाई लड़ी और इस संघर्ष ने झारखंड की पहचान को मज़बूत किया.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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