Monday, April 28, 2025
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पंजाब में पराली जलने के कारण बढ़ रही हैं समस्याएं

पंजाब में पराली जलाने की प्रथा से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी गंभीर असर पढ़ता है. इसे जलाने से उत्पन्न धुआं और ज़हरीले कण दिल्ली के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जिससे PM 2.5 का स्तर काफी बढ़ जाता है.

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Punjab: पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. साल 2023 में खरीफ़ सीज़न के दौरान 656 घटनाएं हुई थी, जो अब पिछले साल की तुलना से अधिक है. पराली जलाने से वायु प्रदूषण में वृधि होती है, इससे छोटे छोटे प्रदूषण कणों का स्तर बढ़ जाता है, जो स्वास्थ्य समस्याओं का गंभीर कारण बन सकता है.

पंजाब में पराली जलाने की प्रथा वर्षों से चलती आ रही है, विशेषकर धान की कटाई के बाद जो सबसे निचला हिस्सा बच जाता है किसानों के लिए बेकार हो जाता है और यह इस सूखी पराली को जला देते हैं. इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य फसल की कटाई के बाद किसान जल्दी से अगली फसल लगाने के लिए खेत को साफ़ करना चाहते हैं. ताकि अगली फसल की बुआई समय पर की जा सके. किसानो के पास पराली प्रबंधन के लिए प्रभावी और किफायती विकल्पों की कमी है, मशीनों का उपयोग करने की लागत अधिक होती है, और कई किसान इसे वहन नहीं कर सकते. लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह समस्या अधिक बढ़ती जा रही है.

पराली जलाने से निकलने वाला ज़हर हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है. इस प्रक्रिया से प्रति वर्ष लगभग 3 किलो पार्टिकुलेट मैटर (PM) और 60 किलो से अधिक कार्बन मोनोऑक्साइड उत्पन्न होती है. इन ज़हरीली गैसों का हमारे फेफड़ों, दिल और आँखों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इससे अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज़ (COPD), ब्रोंकाइटिस और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. पंजाब में पराली जलाने की प्रथा से दिल्ली की वायु गुणवत्ता पर भी गंभीर असर पढ़ता है. इसे जलाने से उत्पन्न धुआं और ज़हरीले कण दिल्ली के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जिससे PM 2.5 का स्तर काफी बढ़ जाता है, इससे लोगों को सांस संबंधी समस्याएं और अन्य बीमारियों का सामना करना पड़ता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि पराली जलाने के बजाय उसे सही तरीके से प्रबंधित करना चाहिए, ताकि इन स्वास्थ्य समस्याओं से बचा जा सके. किसानों को जागरूक करना और वैकल्पिक सुझाव देना बेहद ज़रूरी है. हालाँकि अब पराली जलाना भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत गैरकानूनी हो गया है. इस धारा के तहत यदि कोई किसान दोषी पाया जाता है, तो उसे छ महीने का कारावास या 15 हज़ार रूपए का जुरमाना हो सकता है. इस समस्या के समाधान के लिए सरकार और अन्य संस्थाएं मिलकर इस दिशा में प्रयास कर रही हैं, ताकि पराली जलाने की आदत को कम किया जा सके और पर्यावरण की सुरक्षा की जा सके. यह कदम सभी के स्वास्थ्य और भलाई के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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