Jaipur: राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे कछवाहा वंश के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 में बसाया था. यह शहर अपनी अलग पहचान, समर्द्ध सांस्कृतिक विरासत और एतिहासिक महत्व के लिए मशहूर है. इस शहर को बसाने में बंगाल के प्रसिद्ध वास्तुकार विद्याधर भट्टाचार्य ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसे चारों तरफ से सूर्य के सात घोड़ों पर आधारित 7 दरवाजों और परकोटों के बीच बसाया गया है, जो इसे और भी आकर्षक बनाते है.
जयपुर को गुलाबी शहर के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है जब ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स के युवराज अल्बर्ट जयपुर आने वाले थे, तब महाराजा सवाई राम सिंह ने शहर को विशेष रूप से सजाने का निर्णय लिया था. महाराजा ने उनके स्वागत के लिए शहर को पिंक कलर करने का आदेश दे दिया. जब प्रिंस अल्बर्ट जयपुर पहुंचे, तो वह राजा की मेहमाननवाज़ी और शहर के गुलाबी नज़ारे को देखकर हैरान रह गए. और उन्होंने इस सिटी को पिंक सिटी का नाम दे दिया.
जयपुर राजस्थान का सबसे अधिक आबादी वाला शहर है. यहाँ के बाज़ार नीले मिट्टी के बर्तनों, चमड़े के जूतों, टाई एंड डाई स्कार्फ और पारंपरिक भारतीय पोशाक के लिए प्रसिद्ध हैं. यह वस्त्र और हस्तशिल्प जयपुर की पहचान हैं और पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करते हैं. जयपुर की वास्तुकला भी अनोखी है, यहाँ का नौ ग्रिड पैटर्न का डिज़ाइन कई ज्योतिषियों द्वारा भाग्यशाली माना जाता है. यह विशेषता शहर को एक अलग रूप देती है. यहाँ का खाना दाल बाटी चूरमा और गट्टे की सब्ज़ी, बहुत प्रसिद्ध है.
जयपुर में 2 प्रमुख यूनस्को विश्व धरोहर स्थल हैं, अमर किला और जंतर मंतर. यह स्थल न केवल एतिहासिक महत्व रखते हैं, बल्कि पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. इसके इलावा जयपुर का हवा महल, जिससे ब्रीज़ पैलेस के नाम से भी जाना जाता है, यह शानदार इमारत 5 मंज़िलो में फैली हुई है और इसमें कुल 953 खिड़कियाँ हैं. यह गुलाबी रंग की चट्टानों से बनी हुई है, जो इसे और भी खूबसूरत बनाती है. यह महल हर साल हजारों पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है.
जयपुर में एशिया का सबसे बड़ा सर्कल पार्क है, जिसे लोग जवाहर सर्कल के नाम से जानते हैं. इसका डायमीटर 452 मीटर है और सरक्म्फ्रेंस 1420 मीटर है, जो इसे एक ख़ास जगह बनाता है. जयपुर का अल्बर्ट हॉल संग्रहालय भी ख़ास है, जहाँ करीब 2300 साल पुरानी मिस्र की टूटू ममी रखी हुई है. यहाँ के कपड़ो में विशेषकर कढ़ाई और हाथ से बने कपड़ो का बहुत महत्व है. जयपुर की संस्कृति में लोक संगीत और नृत्य का गहरा महत्व है, जिसमें घूमर और कालबेलिया शामिल हैं.