Monday, April 28, 2025
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जानिए क्या होता है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट?

दोनों दरें महंगाई को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जब महंगाई उच्च होती है, तो RBI इन दरों को बढ़ाकर धन की आपूर्ति को सीमित करता है. इसके विपरीत, जब महंगाई कम होती है, तो RBI इन्हें घटाकर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश करता है

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Business: भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) देश की आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखने के लिए कई उपकरणों का उपयोग करता है. इनमें से प्रमुख हैं रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट. यह दरें बैंकों के लिए महत्वपूर्ण होती है और इनका असर आम जनता, व्यवसायों और पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है.

रेपो रेट, वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों को अल्पकालिक कर्ज़ देता है. जब बैंकों को धन की आवश्यकता होती है, खासकर जब उनकी तरलता कम हो जाती है, तो वह RBI से उधार लेते हैं. इस दर का उपयोग RBI द्वारा अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है. जब महंगाई बढ़ती है तो, RBI रेपो रेट को बढ़ा देता है. इससे बैंकों को उधारी लेना महंगा हो जाता है. परिणामस्वरूप, बैंक अपनी ब्याज दरें बढ़ा देता है. जिसके कारण उपभोक्ता और व्यवसाय उधारी कम लेते हैं. इस प्रक्रिया से बाज़ार में धन की आपूर्ति कम होती है, जो महंगाई को नियंत्रित करने में मदद करती है.

रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI वाणिज्यिक बैंकों से पैसे स्वीकार करता है, जब वह अपने अधिशेष फंड्स को सुरक्षित रखना चाहते हैं. बैंक अपनी अतिरिक्त तरलता को RBI के पास भेजते हैं और इसके बदले उन्हें रिवर्स रेपो रेट पर ब्याज मिलता है. जब RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है, तो यह बैंकों के लिए फंड्स को RBI के पास रखना अधिक आकर्षक बना देता है. इससे बाज़ार में पैसा कम हो जाता है, जो महंगाई को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है.

दोनों दरें महंगाई को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. जब महंगाई उच्च होती है, तो RBI इन दरों को बढ़ाकर धन की आपूर्ति को सीमित करता है. इसके विपरीत, जब महंगाई कम होती है, तो RBI इन्हें घटाकर आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की कोशिश करता है. उदाहरण के तौर पर मान लीजिये की महंगाई 6% पर है. इस स्थिति में RBI रेपो रेट को 6.5% तक बढ़ा सकता है. इससे बैंकों के लिए उधारी लेना महंगा हो जाएगा. जब उपभोक्ता और व्यवसाय उधारी कम लेते हैं, तो बाज़ार में पैसा कम हो जाता है, जिससे महंगाई में कमी आती है. यदि महंगाई केवल 3% है, तो RBI रेपो रेट को घटाकर 4% कर सकता है. इससे उधारी लेना सस्ता हो जाता है, और लोग और व्यवसाय अधिक पैसे उधार लेते हैं, जिससे बाज़ार में धन की आपूर्ति बढ़ती है.

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति के महत्वपूर्ण घटक हैं. यह दरें न केवल बैंकों के लिए बल्कि आम जनता और व्यवसायों के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं. इन दरों के माध्यम से RBI आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने का प्रयास करता है. रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को समझना हमारे लिए ज़रूरी है, ताकि हम आर्थिक स्थिति को बेहतर ढंग से समझ सकें और अपने वित्तीय निर्णयों में सजग रह सकें.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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