Tuesday, April 29, 2025
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आखिर कौन हैं अनिल बिश्नोई?

अनिल बिश्नोई ने अभी तक खुद की जान हथेली पर रखकर 300 से ज्यादा शिकारियों को पकड़ा है, जिनमें से कई जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचे हैं. उनका यह काम काले हिरणों की रक्षा के लिए क़ानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से प्रभावी साबित हुआ है

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Rajasthan: राजस्थान के हनुमानगढ़ ज़िले के रहने वाले अनिल बिश्नोई का नाम हाल ही में फिर से चर्चा में आया है, लेकिन यह चर्चा उनके द्वारा किए गए अद्वितीय काम की वजह से है. अनिल बिश्नोई को काले हिरणों के असली रक्षक के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने पिछले 35 वर्षों में 10,000 से भी ज़्यादा हिरणों की जान बचाई है. उन्हें इस क्षेत्र में किए गए उनके अद्वितीय योगदान के लिए सराहा जाता है.

अनिल बिश्नोई का वन्यजीवों, खासकर काले हिरणों के प्रति प्रेम कॉलेज के दिनों से ही शुरू हो गया था. जब वह सूरतगढ़ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, तब एक वन्यजीव संरक्षण पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया. इस कॉन्फ्रेंस ने उन पर गहरी छाप छोड़ी और उन्होंने फैसला किया कि वह अपने जीवन को काले हिरणों और अन्य वन्यजीवों की रक्षा के लिए समर्पित करेंगे. यह निर्णय उनके जीवन की दिशा को बदलने वाला साबित हुआ और उन्होंने पूरी ताकत के साथ इस मिशन को शुरू किया.

अनिल बिश्नोई ने काले हिरणों की रक्षा के लिए अपना अभियान शुरू किया और धीरे धीरे इस पर जन आंदोलन बना दिया. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि हिरणों के शिकार की रोकथाम के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक किया जाए और इस दिशा में कड़े कदम उठाए जाएं. उन्होंने करीब 50 पंचायतों में अपने अभियान का विस्तार किया और इन इलाकों में लोग उनके साथ मिलकर काम करने लगे. यही कारण है कि राजस्थान की सरकार ने अनिल बिश्नोई को अमृता देवी एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन अवार्ड से भी सम्मानित किया था.

अनिल बिश्नोई ने अभी तक खुद की जान हथेली पर रखकर 300 से ज्यादा शिकारियों को पकड़ा है, जिनमें से कई जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचे हैं. उनका यह काम काले हिरणों की रक्षा के लिए क़ानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टिकोण से प्रभावी साबित हुआ है. अनिल बिश्नोई का संघर्ष 35 वर्षों से भी ज़्यादा पुराना है. शुरू में जब उन्होंने काले हिरणों की रक्षा के लिए काम करना शुरू किया था, तो बहुत कम लोग उनके साथ थे, लेकिन समय के साथ उनके काम की अहमियत बढ़ी और अब 3000 से ज़्यादा लोग उनके साथ वॉलंटियर के रूप में जुड़ चुके हैं. इस वॉलंटियर्स की मदद से अब उनके अभियान को राजस्थान के 12 जिलों में चलाया का रहा है.

लॉरेंस बिश्नोई के नाम से सलमान खान को धमकी मिलने और काले हिरण के शिकार को लेकर माफ़ी मांग की थी. उसका कहना था कि सलमान खान ने काले हिरण को मारकर उनकी आस्था का अपमान किया है और वह बदला लेंगे. इस बीच, अनिल बिश्नोई का नाम सोशल मीडिया पर सामने आया, जब सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर ध्रुव राठी ने उन्हें काले हिरणों का असली रक्षक बताया.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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