Friday, March 14, 2025
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फर्जी जज ने करोड़ो की सरकारी ज़मीन पर किया कब्ज़ा

गुजरात के एक वकील मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने गांधीनगर के सेक्टर-15 में एक फर्जी कोर्ट बनाई थी, जहां वह पीड़ितों को बुलाकर उन्हें झूठे फैसले सुनाता था. इतना ही नहीं, वह यह भी दावा करता था कि उसकी अदालत के फैसले मान्य होंगे

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Gujarat: गुजरात के गांधीनगर में एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक वकील ने फर्जी अदालत और फर्जी जज बनकर लगभग 100 एकड़ सरकारी ज़मीन को अपने नाम कर लिया. इस मामले में अब लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. आरोपी ने न सिर्फ लोगों से मोटी रकम वसूली, बल्कि सरकार की संपत्ति पर भी कब्ज़ा करने की कोशिश की.

गुजरात के एक वकील मॉरिस सैमुअल क्रिश्चियन ने गांधीनगर के सेक्टर-15 में एक फर्जी कोर्ट बनाई थी, जहां वह पीड़ितों को बुलाकर उन्हें झूठे फैसले सुनाता था. इतना ही नहीं, वह यह भी दावा करता था कि उसकी अदालत के फैसले मान्य होंगे. इस तरह उसने कई लोगों को अपनी जालसाज़ी का शिकार बनाया और उनके पैसों को अपनी झोली में डाल लिया. मॉरिस सैमुअल ने अपना फर्जी कोर्ट बिलकुल असली अदालत जैसा तैयार किया था.

मॉरिस ने जज की भूमिका निभाने के अलावा, फर्जी कोर्ट के कर्मचारियों और वकीलों की व्यवस्था भी की थी, जिससे यह लगता था कि सब कुछ क़ानूनी तरीके से हो रहा है. वह मामलों की सुनवाई करता था, दलीले सुनाता था और फिर खुद को एक ट्रिब्यूनल के अधिकारी के रूप में आदेश पारित कर देता था. इस फर्जी जज के आदेशों के चलते कई पीड़ितों ने अपनी मेहनत की कमाई को उसे भुगतान किया, उम्मीद के साथ कि उनका केस जीत जाएगा. मॉरिस ने इन लोगों से मोटी फीस ली, औरे बदलें में उन्हें झूटी उम्मीदें दीं.

मॉरिस ने विशेष रूप से सरकारी ज़मीन से जुड़े मामलों में अपना जाल फैलाया था. उसने एक मामले में अहमदाबाद ज़िले के एक सरकारी भूमि से संबंधित केस में अपने मुवक्किल के पक्ष में आदेश पारित किया. इसके बाद वह भूमि के दस्तावेजों में मुवक्किल का नाम दर्ज करने का आदेश भी दिया. इससे यह ज़ाहिर हुआ कि आरोपी ने न केवल फर्जी फैसले दिए, बल्कि सरकारी दस्तावेज़ों को भी प्रभावित किया.

मॉरिस का यह फर्जीवाड़ा कई सालों तक चलता रहा, लेकिन 2019 का एक बड़ा खुलासा सामने आया, जब अहमदाबाद के भाद्र में सिटी सिविल एंड सेशंस कोर्ट के रजिस्टार हार्दिक देसाई ने मामले में कुछ गड़बड़ी महसूस की. उन्होंने जाँच शुरू की और पाया कि मॉरिस ने सरकारी भूमि के मामले में जो आदेश दिया था, वह पूरी तरह से नकली था. इसके बाद उन्होंने इस मामले की सूचना पुलिस को दी और पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने कहा कि वह पिछले 5 सालों से फर्जी कोर्ट चला रहा था और कम से कम 11 मामलों में फर्ज़ी आदेश पारित कर चुका था.

पुलिस के अनुसार, आरोपी ने इन आदेशों के ज़रिये अरबों की ज़मीन से जुड़े विवादों में गड़बड़ी की थी और लोगों को आर्थिक नुकसान पहुँचाया था. जांच में यह भी खुलासा हुआ कि उसने एलएलबी की डिग्री और बी.कॉम की डिग्री फर्जी संस्थान से ली थी, जो बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं थे. इसके बावजूद वह खुद को एक वकील और जज के रूप में पेश करता रहा. इस खुलासे से एक बार फिर यह सवाल उठता है कि हमारे सिस्टम में कितने लोग इस तरह के फर्जीवाड़े कर सकते हैं, और शासन-प्रशासन की नज़र कैसे इन अपराधों से बची रहती है.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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