Delhi: भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जिनका कार्यकाल 10 नवंबर को समाप्त हो गया. उन्होंने अपने कार्यकाल में कई ऐतिहासिक फैसले दिए. इन फैसलों ने न सिर्फ क़ानूनी दायरों को प्रभावित किया, बल्कि समाज में बदलाव की दिशा भी तय की.
आइए जानते हैं उनके 10 सबसे बड़े फैसलों के बारे में
इलेक्टोरल बॉन्ड पर लगी रोक
चंद्रचूड़ की अगुवाई में, सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में एक महत्वपूर्ण फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर रोक लगा दी थी. यह स्कीम राजनीतिक दलों को चंदा प्राप्त करने का एक तरीका थी, जो 2018 में लागू थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया और कहा कि यह राजनीतिक दलों और चंदा देने वालों के बीच गुप्त समझौते को बढ़ावा दे सकता है.
निजी प्रॉपर्टी का अधिग्रहण नहीं कर सकती सरकार
5 नवंबर 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि सरकार के पास निजी प्रॉपर्टी को ज़बरदस्ती अधिग्रहण करने का अधिकार नहीं हैं, केवल इसके कि वह यह साबित करे कि वह समुदाय के लाभ के लिए आवश्यक हैं. यह फैसला 32 वर्षों से लंबित था और इसमें संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) को लागू किया गया. इसके तहत, सरकार को यह सिद्ध करना होगा कि अधिग्रहण की गई प्रॉपर्टी भौतिक संसाधन हैं और समुदाय की प्रॉपर्टी हैं.
यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट
चंद्रचूड़ की अगुवाई में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड एक्ट 2004 को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया. इससे पहले, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित किया था और मदरसों के छात्रों को सामान्य स्कूलों में दाखिला लेने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट को वैध करार दिया, लेकिन मदरसों को कामिल और फ़ाज़िल डिग्रियां देने का अवैध माना. इस फैसले से उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ाई करने वाले लाखों छात्रों के भविष्य पर सीधा प्रभाव पड़ेगा.
अनुच्छेद 370 पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2023 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के सरकार के फैसले को बरकरार रखा. इस फैसले में, कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था, जिसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को सुनिश्चित करना था. इस फैसले से केंद्र सरकार को जम्मू-कश्मीर में नए कानून लागू करने में मदद मिली, और चुनाव प्रक्रिया को जल्द पूरा करने का आदेश दिया गया.
समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार
अक्टूबर 2023 में, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को क़ानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया. हालांकि कोर्ट ने समलैंगिकों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दिया और सरकार को समलैंगिक समुदाय के लिए उचित कदम उठाने का निर्देश दिया. यह फैसला संसद को समलैंगिक विवाह पर कानून बनाने का अधिकार देती है.
नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध माना
अक्टूबर 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को वैध करार दिया. इसके तहत, 1966 से 1971 के बीच बांग्लादेश से असम में आए लोग भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं. इस फैसले से असम में बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को कानूनी सुरक्षा और नागरिकता का अधिकार मिल गया.
जेलों में जातिगत भेदभाव पर रोक
3 अक्टूबर 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय जेलों में जातिगत आधार पर भेदभाव को समाप्त करने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि जेलों में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करना और भेदभाव करना गैरकानूनी है. यह फैसला सभी जेल मैनुअल में किए गए जातिगत भेदभावपूर्ण प्रावधानों को असंवैधानिक मानते हुए उन्हें संशोधित करने का निर्देश देता है.
नीट-यूजी 2024 को रद्द करने से इनकार
जुलाई 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी 2024 को रद्द करने से इनकार कर दिया. पेपर लीक के आरोपों के बावजूद, कोर्ट ने कहा कि परीक्षा की पारदर्शिता पर बड़ा असर नहीं पड़ा था. हालांकि, टॉपर छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का विकल्प दिया गया था. इस फैसले से लाखों छात्रों को राहत मिली, क्योंकि वह दोबारा परीक्षा देने से बच गए.
एमपी-एमएलए को जेल भेजने का आदेश
मार्च 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय लिया कि अगर सांसद या विधायक घूस लेने के आरोपित हैं, तो उन्हें जेल से कोई विशेष छूट नहीं दी जाएगी. कोर्ट ने यह आदेश दिया कि अगर वह घूस लेकर संसद में मतदान करते हैं या भाषण देते हैं, तो उन पर क़ानूनी कार्रवाई होगी.
बाल विवाह पर गाइडलाइन जारी
सुप्रीम कोर्ट ने बाल विवाह के खिलाफ अहम गाइडलाइन जारी की और कहा कि बाल विवाह को किसी भी निजी कानून या परंपरा के आधार पर स्वीकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि माता-पिता द्वारा अपने बच्चों की शादी के लिए सगाई करना, उनकी स्वतंत्र इच्छा का उल्लंघन है.
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा दिए गए निर्णयों ने भारतीय समाज में कई महत्वपूर्ण बदलावों को जन्म दिया है. चाहे वह चुनावी पारदर्शिता हो, सरकारी अधिकारों की सीमाएं, या सामाजिक समानता चंद्रचूड़ ने अपने फैसलों के ज़रिये लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था को सशक्त किया है. उनके फैसले आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे.