Monday, April 28, 2025
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मिलिए हैदराबाद के अज़हर से जो रोज़ 1200 से अधिक लोगों का पेट भरते हैं

अज़हर का यह नेक काम अब सिर्फ हैदराबाद तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में फैल चुका है. आज अज़हर के साथ कई लोग जुड़े हैं और इस अभियान को कई राज्यों में चलाया जा रहा है.

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Abida Sadaf
Abida Sadafhttp://globalboundary.in
आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Hyderabad: भूख का कोई मज़हब नहीं होता है, दुनिया में हर इंसान अपनी रोज़ी रोटी के लिए संघर्ष करता है. दो वक्त का खाना और रोज़ी रोटी सा सुकून मिल जाए, तो जीवन सफल हो जाता है. लेकिन अफ़सोस की बात है कि हमारे समाज में एक बड़ा तबका ऐसा है, जो कई रातें भूखे पेट सोता है. इन लोगों की मदद के लिए कोई ना कोई हाथ बढ़ाए, यह बहुत ज़रुरी है. आज हम बात कर रहे हैं सईद ओसमान अज़हर मकसूसी का, जो हैदराबाद में हर रोज़ हजारों गरीबों को खाना खिलाते हैं.

सईद ओसमान अज़हर मकसूसी का जीवन कभी भी आसान नहीं रहा. उनका जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था. जब अज़हर महज़ चार साल के थे, तब उनके पिता का निधन हो गया. इसके बाद उनके परिवार की हालत और भी बिगड़ गई. एक छोटे बच्चे को कई बार भूखा सोना पड़ा और उन्होंने कई बार खुद भी पेट की भूख को महसूस किया है. लेकिन इसी दर्द और संघर्ष ने सईद के दिल में गरीबों के लिए एक अलग ही जगह बना दी. वह जानते थे कि जब किसी को भूखा देखता है तो दिल में क्या गुज़रती है.

सईद अज़हर मकसूसी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आय, जब उन्होंने एक महिला को भूख से तड़प रही थी. अज़हर ने अपनी सारी जमा पूंजी उस महिला को खाना देने में लगा दी. यह घटना सईद के लिए एक जीवन बदलने वाली घटना साबित हुई. उन्होंने महसूस किया कि किसी के पेट की भूख मिटाना कितना अहम है. उस दिन के बाद से अज़हर ने यह ठान लिया कि वह सिर्फ अपनी जिंदगी को नहीं, बल्कि दूसरों की जिंदगी को भी बेहतर बनाएंगे.

सईद ओसमान अज़हर मकसूसी ने 2012 में अपनी छोटी सी पहल की शुरूआत की. उन्होंने हैदराबाद में कचरा बीने वालों, भिखारियों और मजदूरों को खाना खिलाना शुरू किया. यह अभियान इतना सफल रहा कि आज तक कभी भी एक दिन भी ऐसा नहीं गया जब अज़हर ने किसी को भूखा छोड़ दिया हो. उन्होंने यह काम अकेले ही शुरू किया था, लेकिन जैसे जैसे उनकी मदद से लोगों को लाभ होने लगा, कई और लोग भी उनके साथ जुड़ गए. अज़हर का यह काम अब एक बड़ा अभियान बन चुका है. हर रोज़ 1200 से अधिक लोग अज़हर से भोजन प्राप्त करते हैं. इनके फाउंडेशन का नाम सानी वेलफेयर है.

अज़हर का यह नेक काम अब सिर्फ हैदराबाद तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में फैल चुका है. आज अज़हर के साथ कई लोग जुड़े हैं और इस अभियान को कई राज्यों में चलाया जा रहा है. इनका जीवन हमें यह सिखाता है कि जब किसी के पास दूसरों की मदद करने का जज़्बा हो, तो कोई भी मुश्किल छोटी पड़ जाती है. उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन से यह साबित कर दिया है कि अगर एक इन्सान ठान ले तो वह समाज में बदलाव ला सकता है. उन्होंने यह साबित किया कि इंसानियत सा बड़ा कोई धर्म नहीं.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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