India: भारत में धार्मिक स्थलों को लेकर विवादों की स्थिति लंबे समय से बनी हुई है. हाल के वर्षो में कुछ मस्जिदों और दरगाहों को लेकर हिन्दू समुदाय ने दावा किया है कि यह स्थल पहले मन्दिर थे. इनमें से कुछ मामले अदालतों में चल रहे हैं और कुछ मामलों में विवादों ने राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को प्रभावित किया है। यहां हम उन प्रमुख मामलों का विश्लेषण करेंगे, जो हाल ही में सुर्खियों में रहे हैं।
- ज्ञानवापी मस्जिद मामला
ज्ञानवापी मस्जिद का मामला पिछले कुछ समय से काफी चर्चा में है। पांच महिलाओं ने वाराणसी की अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने मस्जिद की मग्रीबी दीवार पर गौरी शंकर की मूर्ति की पूजा करने की अनुमति मांगी थी। अदालत ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए मस्जिद का सर्वे करने का आदेश दिया। सर्वे के दौरान मस्जिद के वज़ूखाने में एक संरचना मिली थी, जिस पर हिंदू पक्ष का दावा था कि वह शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया। इसके बाद अदालत ने वज़ूखाने को सील कर दिया और मस्जिद के तैखाने में पूजा की अनुमति दे दी।
- मथुरा का शाही ईदगाह विवाद
उत्तर प्रदेश के मथुरा में शाही ईदगाह को लेकर भी एक विवाद उठ खड़ा हुआ है। हिंदू पक्ष का दावा है कि 1618 में राजा वीर सिंह ने यहां एक मंदिर की स्थापना की थी, जिसे बाद में 1670 में मस्जिद में बदल दिया गया। इसके बाद शाही ईदगाह को हटाने की मांग की गई थी। वहीं दूसरी ओर कृष्ण जन्मभूमि को लेकर भी विवाद खड़ा हुआ था, लेकिन अदालत ने इसे खारिज कर दिया। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस जमीन पर 1968 में दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ था, जिसे किसी भी हाल में तोड़ा नहीं जा सकता।
- धार जिले का भोजशाला विवाद
मध्यप्रदेश के धार जिले में स्थित सूफी बुजुर्ग कमालुद्दीन मालवीय की कदीम दरगाह और उसकी समानांतर स्थित चौदवी सदी की मस्जिद को लेकर भी विवाद है। हिंदू पक्ष का दावा है कि यह स्थल सरस्वती देवी का मंदिर था, जिसे बाद में मस्जिद में बदल दिया गया। इस मस्जिद में नमाज़ पर पाबंदी लगाने की मांग 2000 से की जा रही है, और हिंदू पक्ष की यह मांग है कि यहां सिर्फ पूजा करने की अनुमति दी जाए। इस मामले ने भी कई बार धार्मिक और सांस्कृतिक विवादों को जन्म दिया है।
- अजमेर दरगाह पर दावा
28 नवंबर 2023 को एक हिंदू संगठन ने अजमेर की सिविल अदालत में एक याचिका दायर की थी, जिसमें सूफी बुजुर्ग ख्वाजा मोईनुद्दीन की दरगाह को महादेव मंदिर होने का दावा किया गया। याचिकाकर्ता ने अदालत से इस दरगाह का सर्वे कराने की मांग की थी। सिविल कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए दरगाह कमेटी को नोटिस जारी किया था। इस मामले की अगली सुनवाई 30 दिसंबर 2024 को होने वाली है।
- फतेहपुर सिकरी की जामा मस्जिद
उत्तर प्रदेश के आगरा के पास स्थित फतेहपुर सिकरी की जामा मस्जिद को लेकर भी एक विवाद चल रहा है। हिंदू तंजीमो का कहना है कि इस मस्जिद से पहले यहां एक मंदिर हुआ करता था, जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई। इस मामले में सुन्नी सेंटर वक्फ बोर्ड और मस्जिद की प्रबंधन समिति ने अदालत में अपनी दलीलें दी हैं और मस्जिद को मंदिर में तब्दील करने के दावों का विरोध किया है।
- संभल की शाही जामा मस्जिद
उत्तर प्रदेश के संभल में शाही जामा मस्जिद पर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि यह स्थल मूल रूप से हरिहर मंदिर था। इस संबंध में 19 नवंबर 2023 को अदालत में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें हिंदुओं को मस्जिद में पूजा करने की अनुमति देने की मांग की गई थी। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वे का आदेश दिया था, और उसी दिन सर्वे भी किया गया।
- जौनपुर की अटाला मस्जिद
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले की अटाला मस्जिद को लेकर भी विवाद उठाया गया है। स्वराज वाहिनी एसोसिएशन ने मई 2024 में एक मुकदमा दायर किया, जिसमें दावा किया गया कि यह स्थल पहले अटला देवी के मंदिर के रूप में था। इस याचिका में यह भी कहा गया था कि हिंदुओं को इस स्थान पर पूजा करने की अनुमति दी जाए और गैर-हिंदुओं को प्रवेश से रोका जाए।
- बदायूं की शम्सी जामा मस्जिद
बदायूं जिले की शम्सी जामा मस्जिद को लेकर भी हिंदू महासभा ने 2022 में अदालत में मुकदमा दायर किया था। याचिका में दावा किया गया कि इस स्थान पर पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था, और इस स्थान पर हिंदू पूजा-अर्चना की अनुमति दी जानी चाहिए। इस मामले की सुनवाई अब फास्ट-ट्रैक अदालत में हो रही है।
- दिल्ली की जामा मस्जिद और ताजमहल
ऑल इंडिया हिंदू महासभा ने 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें दावा किया गया कि दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मूर्तियां दफन हैं, और वहां खुदाई करने की जरूरत है। इसी साल भारतीय जनता पार्टी के मीडिया प्रमुख रजनीश सिंह ने ताजमहल के बारे में एक याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि ताजमहल को शाहजहाँ ने नहीं बल्कि इसे पहले भगवान शिव का मंदिर “तेजो महालया” तोड़कर बनाया था। इस याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था।
- कुतुब मीनार विवाद
दिल्ली उच्च न्यायालय में 2022 में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि कुतुब मीनार को कुतबुद्दीन एबक ने नहीं, बल्कि यह राजा विक्रमादित्य ने सूर्य की दिशा का पता लगाने के लिए बनवाया था। इस याचिका के अलावा कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद को लेकर भी विवाद है। हिंदू पक्ष का कहना है कि इस मस्जिद का निर्माण देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़कर किया गया था।
11. लखनऊ के टीले शाह पर विवाद
उत्तर प्रदेश के लखनऊ की टीले वाली मस्जिद का सर्वे करने के लिए याचिका दाखिल की थी। इन भक्तों का दावा है कि लखनऊ के लक्ष्मण टीला क्षेत्र में स्थित यह मस्जिद मुग़ल शासक औरंगजेब द्वारा एक हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इसमें पूजा करने की अनुमति मांगी गई, लेकिन इसे ख़ारिज कर दिया गया. लेकिन इसका मामला अभी भी कोर्ट में चल रहा है.
भारत में धार्मिक स्थल विवादों की एक लंबी सूची है, और यह विवाद न केवल कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक संदर्भ में भी इनका गहरा असर पड़ा है।