India: हिंदुस्तान में मुगल सल्तनत का एक लंबा और समृद्ध इतिहास रहा है, जिसमें उन्होंने कई खूबसूरत और ऐतिहासिक इमारतें तामीर की. इन इमारतों ने न केवल हिन्दुस्तानी वास्तुकला को नया रूप दिया, बल्कि दुनिया भर में हिंदुस्तानी संस्कृति और कला का परिचय भी कराया. मुग़ल सल्तनत बाबर ने 1526 में कायम की थी.
आइये जानते हैं मुगल सल्तनत की अहम इमारतों के बारे में
ताज महल (1632-1653 ई.)
ताज महल दुनिया भर में एक मशहूर और अद्वितीय यादगार के रूप में जाना जाता है. यह अज़ीम मकबरा सम्राट शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज़ की याद में बनवाया था. यह महल सफेद संगमरमर से बना हुआ है, और इसकी वास्तुकला में फूलों के पैटर्न, जड़ी-बूटी के काम और संगमरमर की सफेदी शानदार समावेश देती है. ताज महल न सिर्फ एक शाही मकबरा है, बल्कि यह मोहब्बत और समर्पण का प्रतीक भी है.
लाल किला (1638-1648 ई.)
लाल किला दिल्ली का एक प्रमुख किला है, जो लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है. यह किला मुगल सल्तनत की राजधानी दिल्ली का केंद्र था. इस किले में महल, मस्जिद और शाही कक्षों का जाल है, जो शाही जिंदगी की खूबसूरती और समृद्धि को दर्शाते हैं. लाल किले को सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था, जो आज भी मुगलिया सल्तनत की ताकत और वैभव का प्रतीक बना हुआ है.
जामा मस्जिद (1644-1656 ई.)
जामा मस्जिद दिल्ली की सबसे बड़ी और नुमाया मस्जिद है, जिसे सम्राट शाहजहाँ ने बनवाया था. यह मस्जिद लाल किले के करीब मौजूद है, और इसे सफेद संगमरमर और लाल बलुआ पत्थर से बनाया गया है. जामा मस्जिद की खूबसूरती और विशालता इसे दिल्ली के सबसे आकर्षण धार्मिक स्थलों में से एक बनाती है.
हुमायूँ का मकबरा (1567-1572 ई.)
हुमायूँ का मकबरा सम्राट हुमायूँ की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी बेगम हामिदा बानो द्वारा बनवाया गया था. यह मकबरा मुगल वास्तुकला का अहम नमूना है. इसमें फ़ारसी, भारतीय और केंद्रीय एशियाई स्थापत्य शैलियों का मिश्रण देखा जा सकता है.
बुलंद दरवाज़ा (1575 ई.)
बुलंद दरवाज़ा सम्राट अकबर ने गुजरात पर विजय प्राप्ती के बाद बनवाया गया था. यह हिंदुस्तान का सबसे ऊँचा प्रवेश दरवाज़ा है, और इसकी ऊंचाई तकरीबन 40 मीटर है. इसे लाला बलुआ पत्थर से बनाया गया है, और इसकी शिल्पकला मुगल वास्तुकला की विशेषताओं को दर्शाती है. यह दरवाज़ा फतेहपुर सीकरी के किले में स्थित है.
मुगल सल्तनत की इन ऐतिहासिक धरोहरों ने हिंदुस्तानी वास्तुकला को एक नई दिशा दी है. यह इमारतें आज भी हिंदुस्तान की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में हमारे दरमियान खड़ी हैं, और पूरी दुनिया में हिंदुस्तान की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक मानी जाती हैं.