Uttar Pradesh: लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, अपनी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और वास्तुकला के लिए मशहूर है. यह शहर हिंदुस्तानी मुगल और ब्रिटिश काल की ऐतिहासिक धरोहर का शानदार संगम है. यहाँ के ऐतिहासिक स्थल और इमारतें न सिर्फ लखनऊ की गौरवमयी धरोहर को दिखाती हैं, बल्कि पर्यटकों को लखनऊ के अतीत की यात्रा पर भी ले जाती हैं.
आइये जानते हैं लखनऊ की कुछ अहम ऐतिहासिक इमारतों और स्थलों के बारे में
घंटाघर
लखनऊ का घंटाघर हिंदुस्तान का सबसे ऊंचा घंटाघर है, जिसकी ऊंचाई 221 फीट है. इसे ब्रिटिश वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना माना जाता है. इसे अवध के आठवें नवाब नसीरूद्दीन हैदर ने तामीर करवाया था, जब सर जार्ज कूपर, अवध सोबे के पहले लेफ्टिनेंट गवर्नर लखनऊ आए थे. यह घंटाघर न सिर्फ एक ऐतिहासिक धरोहर है, बल्कि लखनऊ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान का भी प्रतीक बन चुका है.
भूल भुलैया
लखनऊ का भूल भुलैया एक अनोखी और जटिल संरचना है, जिसे नवाब आसफ-उद-दौला ने 1784 में तामीर किया था. यह लखनऊ के ‘बड़ा इमामबाड़ा’ किले के अंदर मौजूद है. इसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया था कि दुश्मन या कोई अनजान शख्स आसानी से रास्ते न पहचान सके. इस भूल भुलैया के अंदर घूमते हुए, आपको कई जगहों पर एक जैसा नज़ारा और रास्ते मिलेंगे.
सफेद बारादरी
लखनऊ में मौजूद सफेद बारादरी, संगरमरमर से बना एक भव्य महल है, जिसे नवाब वाजिद अली शाह ने बनवाया था. यह ऐतिहासिक इमारत अपनी खूबसूरती और वास्तुकला के लिए मशहूर है. इसके कक्ष में 12 खिड़कियों के कारण ‘बारादरी’ (बारह खिड़कियों वाला महल) कहा जाता है. सफेद बारादरी का आर्किटेक्चर हिंद्सुतानी और मुग़ल शैली का मेल है, जिससे इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है.
चार बाग रेलवे स्टेशन
चारबाग रेलवे स्टेशन लखनऊ का एक और अहम ऐतिहासिक स्थल है. इसकी तामीर ब्रिटिश काल में 1914 में शुरू हुआ था और यह लखनऊ शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है. इस स्टेशन का वास्तुशिल्प मुगल, राजपूत और अवधि शैलियों का शानदार मिश्रण है, जिसमें मुगल और ब्रिटिश आर्किटेक्चर दोनों की झलक देखने को मिलती है.
रेज़िडेंसी
लखनऊ की रेज़िडेंसी ब्रिटिश हुकूमत के समय की एक अहम और ऐतिहासिक इमारत है. इस रेज़िडेंसी की तामीर लखनऊ के समकालीन नवाब आसफ-उद-दौला ने 1780 में प्रारम्भ करवाया था, जिसे बाद में नवाब सआदत अली ने 1800 में पूरा करावाया. माना जाता है यह वही जगह है जहाँ ब्रिटिशों और हिंदुस्तानी फौजियों के दरमियान 1857 में भयंकर लड़ाई हुई थी. रेज़िडेंसी का किला, इसके खंडहर और आसपास के इलाके आज भी लखनऊ के इतिहास को जिंदा रखने का काम करते हैं.
इन ऐतिहासिक इमारतों के अलावा लखनऊ में और भी बहुत से ऐतिहासिक स्थल और इमारतें हैं, जो हिंदुस्तान की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अहमियत को ज़ाहिर करती हैं. लखनऊ की वास्तुकला में मुगल, ब्रिटिश और हिंदुस्तानी शैलियों का संगम देखने को मिलता है, जो इसे दूसरे शहरों से अलग बनाता है.