Friday, March 14, 2025
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उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू (Uniform Civil Code, UCC)

नई समान नागरिक संहिता में कई अहम प्रावधान हैं, जो समाज के विभिन्न वर्गों को समान अधिकार और न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं. सबसे बड़ा बदलाव शरिया के तहत विवाह, तलाक और विरासत के नियमों से जुड़ा हुआ है.

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Abida Sadaf
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आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Uttarakhand: उत्तराखंड में हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने औपचारिक रूप से समान नागरिक संहिता लागू कर दी है. राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस अहम फैसले की घोषणा करते हुए इसे राज्य के सामाजिक और कानूनी ढांचे में सुधार की दिशा में एक कदम बताया है. यह संहिता राज्य में सभी नागरिकों के लिए समान कानूनी अधिकार सुनिश्चित करेगी, चाहे वह किसी भी धर्म, जाती या समुदाय से हो.

नई समान नागरिक संहिता में कई अहम प्रावधान हैं, जो समाज के विभिन्न वर्गों को समान अधिकार और न्याय प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं. सबसे बड़ा बदलाव शरिया के तहत विवाह, तलाक और विरासत के नियमों से जुड़ा हुआ है. इसके तहत मुस्लिम समुदाय के लिए शरिया कानून से संबंधित कुछ प्रथाएं जैसे इद्दत और हलाला को अवैध कर दिया गया है. इसके अलावा, पुरुषों को एकतरफा तलाक देने का अधिकार समाप्त कर दिया गया है. अब तलाक केवल अदालत के माध्यम से ही संभव होगा, जिससे महिलाओं को समान अधिकार मिलेगा.

समान नागरिक संहिता में बहुविवाह पर प्रतिबंध है, और अब पति पत्नी के बीच तलाक या घरेलू विवाद की स्थिति में पांच साल के बच्चे की कस्टडी मां के पास रहेगी, और नाजायज़ बच्चों को भी वैध माना जाएगा. इसके अलावा, लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लड़कियों के लिए 18 वर्ष निर्धारित की गई है.

नई संहिता में लिव-इन रिलेशनशिप और सहवास से जुड़े मामलों में भी अहम बदलाव किए गए हैं. अब सहवास संबंधों के लिए पंजीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. ऐसे जोड़े जो लिव-इन रिलेशनशिप में रहते हैं, उन्हें मकान, हॉस्टल या पीजी किराए पर देने से पहले अपनी पंजीकरण रसीद दिखानी होगी. इसके अलावा, लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए तलाक का पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है. पंजीकरण न कराने पर 25 हज़ार रूपये जुर्माना या छह महीने की कैद या दोनों हो सकते हैं.

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के फैसले पर जेडीयू ने सतर्क प्रतिक्रिया व्यक्त की है. पार्टी के बिहार प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता और एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि यह राज्य के अधिकार क्षेत्र का मामला है, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे पर सभी को साथ लेकर चलने की आवश्यकता है. उन्होंने यह भी कहा कि इस संवेदनशील विषय पर सांस्कृतिक विविधता और समाज के विभिन्न वर्गों के समावेश को ध्यान में रखते हुए फैसले लेने चाहिए.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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