New Delhi: वक्फ संशोधन अधिनियम पर केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल 2025 को हलफनामा दाखिल कर दिया है और इस हलफ नाने में सरकार ने अपने संशोधनों को सही ठहराया है. और यह भी कहा कि इन संशोधनों से किसी के मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होगा। केंद्र सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर इस बात से इनकार किया कि यह अधिनियम संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
केंद्र का कहना है कि अधिनियम में संशोधन केवल संपत्तियों के प्रबंधन में धर्मनिरपेक्ष पहलू के नियमन के लिए है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन नहीं है एक झूठी कहानी बनाई जा रही है कि इससे सदियों पुरानी वक्फ जमीन पर असर पड़ेगा। धारा 31(R) के प्रावधान के अनुसार, मौजूदा वक्फ को उपयोगकर्ता द्वारा मान्यता देने के लिए कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है। शर्त यह है कि 18 अप्रैल 2025 तक इसका पंजीकरण हो जाना चाहिए। हालांकि वक्फ भूमि का पंजीकरण कोई नई शर्त नहीं है न्यायालय के निर्णयों में यह भी कहा गया है कि बोर्ड एक धर्मनिरपेक्ष निकाय है और मुसलमानों का प्रतिनिधि निकाय नहीं है।
केंद्र ने यह बात परिषद और बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के संबंध में कही है। इन संशोधनों से मुसलमानों को इन निकायों में अल्पसंख्यक नहीं बनाया गया है। परिषद में गैर-मुस्लिमों की संख्या 22 में से चार है, जबकि बोर्डों में यह संख्या 11 में से तीन है। केंद्र ने तर्क दिया कि अधिकांश बोर्ड गैर-मुस्लिमों पर अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हैं, यही कारण है कि गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति की गई है।
कलेक्टर के मुद्दे पर केंद्र ने बहस देखी। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां सरकारी भूमि या निजी भूमि को वक्फ घोषित किया गया है, इसलिए विधायिका उनकी सुरक्षा और उनसे संबंधित विवादों के निपटारे के लिए एक तंत्र प्रदान कर सकती है।
वहीँ देश भर के प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने वक्फ कानून 2025 को गलत इरादे से लाया गया कानून बताया है और उनका कहना है कि इस कानून में कई कमियां हैं और इन कमियों की वजह से आने वाले दिनों में देश भर में वक्फ की ज़मीनों पर सरकारी कब्जे की शरुआत हो जाएगी और बीजेपी की सरकार ने कुछ बिके हुए मुसलमानों को सामने लाकर उनसे इस कानून का समर्थन करा रही है और ये दिखने की कोशिश कर रही है कि मुसलमान इस कानून से खुश हैं, जबकि सच्चाई बिलकुल अलग है.