Gujarat:कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक प्रख्यात और साहसी महिला अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने नेतृत्व, समर्पण और देशभक्ति से न केवल सेना में बल्कि पूरे देश में अपनी एक विशेष पहचान बनाई है। वह सिग्नल्स कोर में कार्यरत हैं और हाल ही में “ऑपरेशन सिंदूर” की प्रेस ब्रीफिंग के दौरान उनकी भूमिका ने उन्हें सुर्खियों में ला दिया। नीचे उनके जीवन, करियर, उपलब्धियों और ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित जानकारी दी गई है:
- व्यक्तिगत और पारिवारिक पृष्ठभूमि
- जन्म और शिक्षा:
- कर्नल सोफिया कुरैशी का जन्म 1981 में गुजरात के वडोदरा में हुआ।
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- उन्होंने महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी (MSU), वडोदरा से बायोकेमिस्ट्री में पोस्ट-ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की।
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- उनके परिवार का सेना से गहरा नाता रहा है। उनके दादा भारतीय सेना में सैनिक थे, जबकि उनके पिता सेना में इस्लामी धार्मिक उपदेशक के रूप में कार्यरत थे।
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- सोफिया की शादी मेजर ताजुद्दीन कुरैशी से हुई है, जो मैकेनाइज्ड इन्फेंट्री में अधिकारी हैं। उनका एक बेटा, समीर कुरैशी, और एक बेटी, ज़ारा, है, जो अपनी माँ से प्रेरित होकर सेना में जाने की इच्छा रखती है।
- प्रेरणा और सेना में शामिल होना:
- बचपन से ही सैन्य वातावरण में पली-बढ़ी सोफिया में देश सेवा की भावना गहरी थी। उनके दादा और पिता की सैन्य विरासत ने उन्हें प्रेरित किया।
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- 1999 में, मात्र 17 वर्ष की आयु में, उन्होंने शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से भारतीय सेना में प्रवेश किया। इसके लिए उन्होंने अपनी पीएचडी और अध्यापन के करियर को छोड़ दिया।
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- उन्होंने चेन्नई की ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी (OTA) से प्रशिक्षण प्राप्त किया और सिग्नल्स कोर में कमीशन प्राप्त किया।
- सैन्य करियर और उपलब्धियाँ
कर्नल सोफिया कुरैशी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं, जो उन्हें भारतीय सेना की एक प्रेरणादायक शख्सियत बनाती हैं।
शांति स्थापना मिशन:
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- 2006 में, सोफिया ने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में काम किया। उन्होंने युद्धविराम की निगरानी और मानवीय मिशनों में सहायता प्रदान की।
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- 2010 से वह लगातार शांति स्थापना अभियानों से जुड़ी रही हैं, जिनमें शांति स्थापना ऑपरेशंस (PKO) और मानवीय खदान कार्रवाई से संबंधित प्रशिक्षण शामिल हैं।
- ऑपरेशन पराक्रम (2001-2002):
- पंजाब सीमा पर तैनाती के दौरान उनकी समर्पित सेवा के लिए उन्हें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (GOC-in-C) द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया।
- बाढ़ राहत कार्य:
- उत्तर-पूर्व भारत में बाढ़ राहत कार्यों के दौरान उनके बहतरीन संचार कार्य के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ (SO-in-C) का प्रशस्ति पत्र प्राप्त हुआ।
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशंसा:
- 2020 में, सुप्रीम कोर्ट ने सेना में लैंगिक समानता पर अपने ऐतिहासिक फैसले में सोफिया कुरैशी सहित 11 महिला अधिकारियों की उपलब्धियों को उजागर किया। इस फैसले ने महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का मार्ग प्रशस्त किया।
- ऑपरेशन सिंदूर और उनकी भूमिका
- ऑपरेशन सिंदूर का अवलोकन:
- ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 6-7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर की गई एक सर्जिकल एयर स्ट्राइक थी। यह कार्रवाई 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे।
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- इस ऑपरेशन में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया गया, जिनमें बहावलपुर, मुरीदके (2008 के मुंबई हमलों से जुड़ा), और बरनाला जैसे शिविर शामिल थे।
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- ऑपरेशन 25 मिनट में पूरा हुआ, जिसमें 7 मिनट में 9 लक्ष्य नष्ट किए गए। 90 से अधिक आतंकियों के मारे जाने की खबरें हैं।
- सोफिया कुरैशी की भूमिका:
- कर्नल सोफिया कुरैशी ने 7 मई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित प्रेस ब्रीफिंग में भारतीय सेना की ओर से ऑपरेशन सिंदूर की जानकारी दी। उनके साथ विदेश सचिव विक्रम मिस्री और भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह भी थीं।
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- उन्होंने ऑपरेशन की रणनीति, समयरेखा और लक्ष्यों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा, “पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया था। इसमें नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाकर खत्म कर दिया गया।”
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- सोफिया ने नष्ट किए गए आतंकी शिविरों के वीडियो भी प्रस्तुत किए, जिनमें मुरीदके का शिविर शामिल था, जहां 2008 के मुंबई हमलों के आतंकी अजमल कसाब और डेविड हेडली ने प्रशिक्षण लिया था।
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- उनकी प्रेस ब्रीफिंग ने न केवल ऑपरेशन की सफलता को रेखांकित किया, बल्कि भारत की नारी शक्ति और हिंदू-मुस्लिम एकता का भी संदेश दिया।
- देशभक्ति और सामाजिक प्रभाव
- प्रेरणादायक व्यक्तित्व:
- सोफिया कुरैशी को “वतन की शेरनी” और “फौजी बेटी, फौजी बीवी” जैसे नामों से पुकारा जाता है, जो उनकी देशभक्ति और सैन्य समर्पण को दर्शाता है।
- उनकी माँ, हलीमा कुरैशी, ने कहा, “सोफिया ने अपने पिता और दादा के नक्शेकदम पर चलकर हमें गौरवान्वित किया है। ऑपरेशन सिंदूर ने उन महिलाओं को न्याय दिलाया, जिन्होंने अपने पतियों को खोया।”
- इसी तरह लोग सूफिया अंसारी और सूफिया कुरैशी के बीच तुलना कर रहे हैं, लेकिन उन दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क है|
कर्नल सोफिया कुरैशी न केवल एक सैन्य अधिकारी हैं, बल्कि देशभक्ति, नारी शक्ति, और सामाजिक एकता की जीवंत मिसाल हैं। उनकी कहानी उन लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा है जो देश सेवा का सपना देखते हैं। ऑपरेशन सिंदूर में उनकी भूमिका ने न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की मजबूत नीति को प्रदर्शित किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारतीय सेना में महिलाएँ अब हर क्षेत्र में अग्रणी हैं। उनकी उपलब्धियाँ और नेतृत्व भावी पीढ़ियों के लिए एक मिसाल बनकर रहेंगी।