Vatican City: नए पोप का चुनाव:
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- 8 मई 2025 को वेटिकन सिटी के सिस्टीन चैपल में आयोजित पापल कॉन्क्लेव में 69 वर्षीय अमेरिकी कार्डिनल रॉबर्ट फ्रांसिस प्रीवोस्त को कैथोलिक चर्च का नया पोप चुना गया। उन्होंने अपना पोपल नाम लियो XIV चुना, जो कैथोलिक परंपरा में एक महान नेता, पोप लियो XIII से प्रेरित है
- यह पहला अवसर है जब किसी अमेरिकी मूल के कार्डिनल को पोप के पद के लिए चुना गया है, जो कैथोलिक चर्च के 2,000 साल के इतिहास में एक असाधारण घटना है।
- रॉबर्ट प्रीवोस्त का पृष्ठभूमि:
- जन्म और शिक्षा: रॉबर्ट प्रीवोस्त का जन्म 1956 में शिकागो, इलिनोइस, संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा शिकागो में प्राप्त की और बाद में कैथोलिक धर्मशास्त्र में गहरी रुचि ली।
- पेरू से संबंध: प्रीवोस्त ने अपने जीवन का अधिकांश समय पेरू में एक मिशनरी के रूप में बिताया, जहां उन्होंने गरीब समुदायों के साथ काम किया। वे पेरू की नागरिकता भी रखते हैं, जो उनके चुनाव में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ।
- करियर:
- 2023 में उन्हें पोप फ्रांसिस द्वारा कार्डिनल बनाया गया।
- उसी वर्ष, पोप फ्रांसिस ने उन्हें वेटिकन के एक शक्तिशाली कार्यालय, डिकास्ट्री फॉर बिशप्स का प्रमुख नियुक्त किया, जो बिशपों के नामांकन की जांच करता है।
- वे ऑगस्टीनियन धार्मिक आदेश के दो बार प्रमुख रहे, जो 50 देशों में सक्रिय है और समुदाय, समानता, और सेवा पर जोर देता है।
- व्यक्तित्व: प्रीवोस्त मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं और वैश्विक स्तर पर कम प्रचारित रहे हैं। उनकी सादगी और गरीबों के प्रति समर्पण उन्हें पोप फ्रांसिस से मिलता-जुलता बनाता है।
- पापल कॉन्क्लेव की प्रक्रिया:
- चुनाव प्रक्रिया: कॉन्क्लेव में 133 कार्डिनलों ने भाग लिया, जिन्होंने सिस्टीन चैपल में गुप्त मतदान के माध्यम से पोप का चयन किया। जब किसी उम्मीदवार को दो-तिहाई वोट मिलते हैं, तो सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफेद धुआं निकलता है, जो नए पोप के चयन का संकेत देता है।
- घोषणा: 8 मई 2025 को सफेद धुआं दिखाई दिया, और फ्रांस के कार्डिनल डोमिनिक माम्बरटी ने सेंट पीटर्स स्क्वेयर में उपस्थित हजारों लोगों के सामने प्रीवोस्त के पोप लियो XIV के रूप में चुने जाने की घोषणा की।
- गोपनीयता: कॉन्क्लेव की प्रक्रिया अत्यंत गोपनीय होती है। कार्डिनल शपथ लेते हैं कि वे इसकी कोई जानकारी कभी साझा नहीं करेंगे, जिससे यह प्रक्रिया रहस्यमयी बनी रहती है।
- ऐतिहासिक महत्व:
- अमेरिकी पोप का महत्व: अमेरिकी कार्डिनल को पोप चुनना लंबे समय से एक वर्जित विषय रहा है, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका की भू-राजनीतिक शक्ति के कारण यह विवादास्पद हो सकता था। प्रीवोस्त की पेरू में लंबी सेवा और दोहरी नागरिकता ने इस बाधा को दूर किया।
- पोप फ्रांसिस का निधन: यह कॉन्क्लेव पोप फ्रांसिस के 21 अप्रैल 2025 को 88 वर्ष की आयु में निधन के बाद आयोजित किया गया। पोप फ्रांसिस ने अपने कार्यकाल में गरीबी, पर्यावरण, और सामाजिक न्याय पर जोर दिया था, और प्रीवोस्त को उनके इस दृष्टिकोण का उत्तराधिकारी माना जा रहा है।
- वैश्विक प्रभाव: पोप लियो XIV अब विश्व के 1.4 अरब कैथोलिकों के आध्यात्मिक नेता हैं और वेटिकन सिटी के शासक के रूप में धार्मिक, प्रशासनिक, और वैश्विक नैतिकता पर प्रभाव डालेंगे।
- वैश्विक प्रतिक्रियाएं:
- संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिकी कैथोलिक समुदाय में खुशी की लहर है, लेकिन कुछ विश्लेषकों का मानना है कि एक अमेरिकी पोप की उपस्थिति वेटिकन को राजनीतिक विवादों में खींच सकती है।
- लैटिन अमेरिका: पेरू और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों में उत्सव का माहौल है, क्योंकि प्रीवोस्त का इस क्षेत्र से गहरा नाता है।
- यूरोप: यूरोपीय मीडिया ने इसे कैथोलिक चर्च के नेतृत्व में एक नए दौर की शुरुआत बताया, क्योंकि अब गैर-यूरोपीय पोप की भूमिका बढ़ रही है।
- चुनौतियां और अपेक्षाएं:
- प्रीवोस्त के सामने कई चुनौतियां हैं, जैसे कि कैथोलिक चर्च में यौन शोषण के मामलों से निपटना, वेटिकन की वित्तीय पारदर्शिता में सुधार, और आधुनिक विश्व में चर्च की प्रासंगिकता को बनाए रखना।
- उनकी पेरू की पृष्ठभूमि के कारण, उम्मीद की जा रही है कि वे विकासशील देशों में कैथोलिक समुदायों के मुद्दों पर विशेष ध्यान देंगे।
निष्कर्ष:
रॉबर्ट प्रीवोस्त, अब पोप लियो XIV, के चुनाव ने कैथोलिक चर्च के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है। उनका अमेरिकी और पेरूवियन पृष्ठभूमि का अनूठा मिश्रण उन्हें वैश्विक कैथोलिक समुदाय के लिए एक सेतु के रूप में प्रस्तुत करता है। उनकी सादगी, गरीबों के प्रति समर्पण, और प्रशासनिक अनुभव से उम्मीद की जा रही है कि वे चर्च को नई दिशा देंगे।