Hyderabad: सलवा फातिमा, जो हिजाब पहन कर जहाज़ उड़ाने वाली भारत की पहली मुस्लिम महिला है. जिस लड़की के पास जहाज़ में बैठने तक के पैसे नहीं थे, वह आज जहाज़ के केबिन में बैठने की हैसियत रखती है. इनका यहाँ तक का सफर कई चुनोतियों से भरा रहा, लेकिन इन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए हार नहीं मानी.
सलवा फातिमा का जन्म तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में हुआ था. इनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, यह किराए के एक घर में रहती थी. उनके पिता शाहिद अशफाक अहमद सऊदी अरब में एक बेकरी में काम करते थे. लेकिन एक हादसे के बाद उन्हें भारत लौटना पड़ा. कक्षा 9 में पढ़ाई के दौरान, सलवा ने एक अखबार में पढ़ा कि भारत में सिर्फ तीन महिलाएं ही कामर्शियल पायलट के तौर पर अपनी सेवाएं दे रही हैं और उन में से एक भी मुस्लिम महिला नहीं थी. यह देखकर सलवा के मन में पायलट बनने का जूनून जागा.
सलवा फातिमा ने 2004 में हाई स्कूल की तालीम हैदराबाद के मलकपेट में स्थित न्यू आजई स्कूल से मुकम्मल की, और 2006 में उन्होंने इंटर की तालीम मेहंदी पटनम के एक कॉलेज से हासिल की. सलवा फ़ातिमा की मालीहालत अच्छी नहीं थी कि वह पायलट बनने जैसे ख्वाब को पूरा कर सकें, लेकिन सियासत डेली न्यूज़ संस्थान की मदद से मार्च 2013 में उन्होंने कमर्शियल पायलट लाइसेंस प्राप्त किया. इस दौरान सिसायत डेली न्यूज़ ने लगभग 18 लाख की भारी रकम सलवा फातिमा की तालीम पर खर्च किया. लेकिन उन्हें मल्टी इंजन एयरलाइन्स में काम करने के लिए लगभग 35 लाख की ज़रूरत थी जो सलवा जैसी माध्यम वर्गीय परिवार के लिए मुमकिन नहीं था.
2013 में सलवा फातिमा की शादी कर दी गई, और इतनी पढ़ाई करने के बावजूद पैसे की तंगी के कारण अपना सपना पूरा न कर सकीं. लेकिन तभी 2015 में कुछ ऐसा करिश्मा होता है की उस टूटते सपने को के पंख मिल गया हो. एक न्यूज़पेपर के रिपोर्टर ने महिला दिवस के मौके पर सलवा फातिमा का इन्टरव्यू किया और उनसे पूछा ‘आप इतनी पढ़ी लिखी होने के बावजूद खाली क्यूँ बैठी है’. सलवा ने बताया की ‘वह माध्यम वर्गीय परिवार से हैं आगे की पढाई के लिए उन्हें 35 लाख रुपयों की ज़रूरत है, जो हमारे लिए बिलकुल ना मुमकिन है’.
यह खबर तेलंगाना के मुख्यमंत्री तक पहुँच गई, और उन्होंने सलवा के हौसलों की कद्र की. उन्होंने मल्टी इंजन टाइप रेटिंग के लिए 35 लाख रुपए की स्कॉलरशिप वाली राशि सलवा फातिमा को देने का निर्णय लिया. जिसकी मदद से 2006 में वह पहली ट्रेनिंग के लिए न्यूज़ीलैंड और दूसरी ट्रेनिंग के लिए बहरीन गई.
2008 में उन्होंने एयरलाइन्स में पायलट की नौकरी के लिए आवेदन दिया, और आखिरकार सलवा फातिमा एक पायलट के तौर पर सिलेक्ट कर ली गई. इस प्रकार 10 साल के संघर्ष के बाद एक सफल पायलट बनीं. आज यह इंडिगो एयरलाइन्स में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर पायलट के तौर पर काम कर रहीं हैं, जहाँ उन्हें हर महीने 1 लाख से अधिक तनख्वाह मिलती है. सलवा फातिमा ने एक इन्टरव्यू के दौरान बताते हुए कहा है की, हिजाब पहनने के बावजूद उन्हें किसी तरह के भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ा. बल्कि कई बार उनके हिजाब की सराहना भी की गई है.
सलवा फातिमा की कहानी हमें यह प्रेरणा देती है की कठिनाइयों का सामना करने और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कभी हार नहीं माननी चाहिए. उनकी सफलता न केवल उनके लिए, बल्कि सभी महिलाओं के लिए एक मिसाल है.