New Delhi: फिल्म “हमरे बारह” पर सुप्रीमकोर्ट ने रोक लगा दी है। “हमारे बारह” इस फिल्म के नाम से ही लग रहा है कि में मुस्लिम समुदाय के शादीशुदा जोड़ों को बदनाम किया गया है और यह बताने की कोशिश है कि मुसलमान एक से ज्यादा शादियां करते हैं और उनके दर्जनों बच्चे होते हैं और बढ़ती आबादी के असली जिम्मेदार मुसलमान ही हैं।
इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं की चालाकी को समझते हुए फिल्म की रिलीज़ पर बैन लगा दी। फिल्म के टीजर को आपत्तिजनक कंटेंट से भरा देख सुप्रीम कोर्ट ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दी। क्योंकि फिल्म में कई तरह की बेबुनियाद बातें करके मुस्लिम समुदाय का अपमान किया गया है।
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने फिल्म का टीजर देखा है और यह काफी आक्रामक है। इस मामले की सुनवाई फिलहाल बॉम्बे हाई कोर्ट में चल रही है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मामले का निपटारा होने तक फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है।
न्यायमूर्ति मेहता ने कहा कि टीज़र इतना आक्रामक था कि उच्च न्यायालय को मामले में अंतरिम आदेश जारी करना पड़ा। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस फिल्म में न सिर्फ मुस्लिम समुदाय के शादीशुदा जोड़ों का अपमान किया गया है, बल्कि कुरान की आयतों को भी गलत तरीके से पेश किया गया है।
फिल्म पर रोक लगाने के लिए सबसे पहले बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
अज़हर पाशा ने अपनी याचिका में कहा कि फिल्म न केवल मुस्लिम महिलाओं का अपमान करती है बल्कि सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 के तहत कानूनों का भी उल्लंघन करती है।
दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस फिल्म की रिलीज पर 14 जून तक रोक लगा दी थी। इसके साथ ही फिल्म की सामग्री की समीक्षा करने के लिए तीन सदस्यीय समीक्षा समिति का भी गठन भी करने का आदेश दिया था। लेकिन कमेटी ने इस पर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी जिसके बाद फिल्म को रिलीज करने की इजाजत दे दी गई।
जब फिल्म को रिलीज करने की इजाजत मिल गई तो अज़हर पाशा ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया और सुप्रीम कोर्ट ने अंततः फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी।