Hockey: भारतीय ओलंपिक इतिहास में हॉकी का स्थान सबसे ऊँचा है. यह एकमात्र ऐसा खेल है, जिसमे भारत ने अपनी धाक जमाई है. भारत ने अब तक कुल 12 ओलंपिक पदक जीते हैं, जिसमें 8 स्वर्ण, 1 रजत और 3 कांस्य पदक शामिल हैं. भारतीय हॉकी की यह उपलब्धियां न केवल खेल की दुनिया में, बल्कि देश के लिए भी गर्व का विषय है. इसे देश के सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक माना जाता है.
भारत में हॉकी की शुरुआत 19वीं सदी के मध्य में हई. यह खेल ब्रिटिश साम्रज्य के दौरान तेज़ी से लोकप्रिय हुआ. 1850 के दशक में इसे भारतीय आर्मी में शामिल किया गया इस खेल ने भारत में एक नई पहचान बनाई. धीरे धीरे यह खेल ने न केवल सैनिकों, बल्कि आम युवाओं का भी दिल जीत लिया. 1855 में कोलकाता में पहला हॉकी क्लब स्थापित किया गया, जिसने इस खेल को और बढ़ावा दिया. बड़ी संख्या में खाली मैदान और कम उपकरणों की आवश्यकता के कारण, हॉकी बच्चो और युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गया.
1924 में अन्तर्राष्ट्रीय हॉकी संघ का गठन हुआ, और 1925 में भारतीय हॉकी संघ की स्थापना हुई. FIH ने 1926 में भारतीय टीम को न्यूज़ीलैंड के दौरे पर भेजा, जहाँ टीम ने 21 में से 18 मैच में जीत हासिल की. हॉकी ने ओलंपिक में भी अपनी महत्पूवर्ण भूमिका निभाई. 1908 और 1920 में ओलंपिक खेलों में शामिल किया गया था, लेकिन इसे 1928 में एम्सटर्डम ओलंपिक में स्थायी ओलंपिक खेलों का दर्जा मिला, जिससे यह खेल और भी प्रसिद्ध हुआ. 1928 से लेकर 1956 तक भारत ने लगातार तीन ओलंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीते, जिससे यह साबित हुआ कि भारतीय खिलाड़ी इस खेल में महारत हासिल कर चुके हैं. हॉकी के इस सफर में ध्यान चंद जैसे महान खिलाड़ी ने भी अपनी पहचान बनाई और इस खेल को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया.
इस खेल में केवल पुरुष नहीं महिला टीम भी शामिल है. 1980 के दशक में भारतीय महिला हॉकी टीम ने मास्को ओलंपिक में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता, और 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत पदक जीता. जो भारतीय महिला हॉकी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. आज भी हॉकी भारत में एक प्रमुख खेल है, और युवा खिलाड़ी इसे खेलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं. इस तरह हॉकी का इतिहास न केवल खेल के प्रति भारतीयों के जुनून को दर्शाता है, बल्कि यह उनके सामर्थ्य और दृढ़ संकल्प का भी प्रतीक है.