Madhya Pradesh: इंदौर की होनहार स्टूडेंट रोहणी घावरी इन दिनों संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर जय श्री राम का नारा लगाने के कारण चर्चा में बनी हैं. इससे पहले 2019 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार के अनुसूचित जनजाति विभाग से एक करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप मिली थी, जो उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी. इस घटना ने न केवल रोहिणी को चर्चा का केंद्र बना दिया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि किसी भी मंच पर सांस्कृतिक पहचान को कैसे प्रस्तुत किया जा सकता है.
रोहिणी घावरी, जो मध्य प्रदेश के इंदौर ज़िले के पलासिया इलाके में पली बढ़ी हैं, एक दलित परिवार से आती हैं. इनका जन्म 28 अगस्त को हुआ था. रोहिणी की माँ इंदौर के बीमा हॉस्पिटल में सफाईकर्मी हैं, और इनके पिता भी सफाईकर्समी थे हालाँकि अब वह समाजसेवा का कार्य करते हैं. उन्होंने अपनी शुरूआती पढ़ाई इंदौर से की थी. रोहिणी की दो बहनें और एक भाई है. एक बहन डेंटल सर्जन है, जिसका चयन मेडिकल ऑफिसर के लिए हुआ है, दूसरी बहन LLB कर रही है और भाई IIT की तैयारी कर रहा है.
रोहिणी अपने बचपन के दिनों की कठिनाइयों को याद करके बताती हैं कि उनकी माँ ने बहुत संघर्ष करके अपने बच्चो को पढ़ाई के लिए प्रेरित किया था. उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि अच्छी नहीं थी. उनके पिता की कमाई इतनी नहीं थी कि सभी की ज़रूरतें पूरी हो सकें, लेकिन उनकी माँ ने अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ज़ेवर बेचकर शिक्षा का खर्चा उठाया था. रोहिणी ने बहुत मेहनत से MSC की पढ़ाई पूरी की और एक करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप जीती, और आज वह स्विट्जरलैंड में PHD कर रही हैं. हालांकि उन्होंने वहाँ अपने खर्चे के प्रबंधन के लिए पढ़ाई के साथ साथ स्टूडेंट वीज़ा के तहत पार्ट टाइम जॉब तो कभी वेट्र्ज़ का काम भी किया है.
16 मार्च 2023 में रोहिणी ने संयुक्त राष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व करके मानव अधिकारों पर देश में किए जा रहे कार्यों पर भाषण दिया था. यह दलित समाज का प्रतिनिधित्व करती हैं, और अक्सर वंचितों के अधिकारों की आवाज़ उठाती हैं. उनके समर्पण और संघर्ष को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मानव अधिकारों पर भारत का पक्ष रखने के लिए चुना है. रोहिणी की यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे दलित समाज के लिए गर्व का क्षण है. उनका कहना है कि भारत में दलितों को सम्मान दिया गया है, और उन्हें गर्व है इस मंच पर अपनी बात रखी. वह आगे भी वाल्मीकि समाज के लिए अपनी आवाज़ उठाना चाहती हैं. उनका यह कदम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
रोहिणी घावरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने की इच्छा जताई ताकि वह समान काम, समान वेतन का नियम लागू करने की मांग कर सकें. उनका मानना है कि सफाईकर्मीयों को भी अपनी मेहनत के अनुसार उचित वेतन मिलना चाहिए. यह केवल एक शिक्षाशास्त्री नहीं हैं, बल्कि एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उनका काम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में है. यह अपनी बेबाकी और स्पष्ट विचार रखने की क्षमता के लिए जानी जाती हैं. इसके साथ ही, वह यूनाइटेड नेशन में भारत की प्रतिनिधि भी है. इनकी कहानी कई युवाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है और यह दिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद, मेहनत और लग्न से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है. कुछ दिनों पहले रोहिणी घावरी को चंद्रशेखर आज़ाद के साथ जोड़ कर बदनाम भी किया गया और यह शोशल मीडिया पर काफी चर्चा में है.