Chhattisgarh: भारत में पश्चिम बंगाल धान उत्पादन में सबसे आगे है, लेकिन छत्तीसगढ़ ने भी धान की खेती में अपनी पहचान बनाई है. हालांकि, छत्तीसगढ़ धान का सबसे बड़ा उत्पादक नहीं है, लकिन इस राज्य की कुछ विशेषताएं हैं जो इसे धान उत्पादन के क्षेत्र में प्रमुख बनाती है. यह कोई मिथक नहीं, बल्कि इसके पीछे एक महतवपूर्ण कारण है.
छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” कहा जाता है, और इसकी प्रमुख वजह यहाँ की चावल पर आधारित संस्कृति है. राज्य में लगभग हर सामाजिक और धार्मिक आयोजन में चावल को विशेष स्थान दिया जाता है. चावल केवल एक खाद्य सामग्री नहीं है, बल्कि यह छत्तीसगढ़ की पहचान का हिस्सा बन चुका है. यहाँ चावल खाने वालों की तादात भी अन्य राज्यों की तुलना में कहीं ज़्यादा है, जो इस बात का प्रमाण है कि चावल इस क्षेत्र के लोगों की जीवनशैली में कितनी महतवपूर्ण भूमिका निभाता है.
छत्तीसगढ़ की खासियत यह है कि यहां क्षेत्रफल के हिसाब से अत्यधिक किस्मों का धान उगाया जाता है. इस राज्य में धान की 20,000 से अधिक किस्में उगाई जाती हैं, जिनमें औषधीय किस्में भी शामिल हैं. यह किस्में न केवल स्वादिष्ट होती हैं, बल्कि कई बीमारियों के इलाज में भी उपयोगी होती हैं. लगभग 88% क्षेत्रफल धान की फसल से कवर है, जिससे यह ज़ाहिर होता है कि धान उत्पादन में छत्तीसगढ़ की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है. यहाँ कि मिट्टी और जलवायु धान की खेती के लिए अत्यधिक उपयुक्त है, जो इसे और भी ख़ास बनाती हैं.
छत्तीसगढ़ के धान उत्पादन में धमतरी ज़िले का ख़ास योगदान है. यह ज़िला रायपुर से लगभग 70km की दूरी पर स्थित है यह एक आदिवासी बहुल क्षेत्र है. धमतरी में साल में 2 बार धान की खेती होती है. यहाँ के आदिवासी समुदाय धान की खेती में पारंपरिक ज्ञान और कौशल का उपयोग करते हैं. छत्तीसगढ़ की कृषि का एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि महिलाएं खेती के हर चरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जिससे यह क्षेत्र की कृषि की रीढ़ बन गई है. यहाँ एक हेक्टेयर में 20 से 30 कुंटल धान की उपज हो सकती है, जो किस्म और मौसम पर निर्भर करती है.
छत्तीसगढ़ में धान की खेती किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, जो उन्हें लाभ देती है और कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान करती है. आपूर्ति नेटवर्क इसे राज्य और देश के अन्य हिस्सों में पहुँचाता है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है. इस प्रकार छत्तीसगढ़ ने अपनी धान की खेती और संस्कृति के माध्यम से एक विशेष पहचान बनाई है, जो न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर भी महत्वपूर्ण है.