Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश के बद्दी की IPS इल्मा अफरोज़ और कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी के बीच बढ़ते विवाद ने सियासी हलचल मचा दी है. IPS इल्मा अफरोज़ को अपना सरकारी बंगला छोड़कर अपने घर मुरादाबाद (उत्तर प्रदेश) लौटना पड़ा.
दरअसल, 4 अगस्त को IPS इल्मा अफरोज़ की पुलिस टीम ने कांग्रेस विधायक राम कुमार चौधरी की पत्नी कुलदीप कौर के खनन डंपर और पोलेकन मशीनों को अवैध खनन के आरोप में ज़ब्त किया. पुलिस ने इन मशीनों पर 75 हज़ार रूपये का जुर्माना भी लगाया. इस कार्रवाई के बाद विधायक की पत्नी ने IPS अफरोज़ पर दबाव बनाने की कोशिश की. आरोप है कि उन्होंने पुलिस अधिकारियों पर राजनीति का दबाव डाला और जब पुलिस ने अवैध खनन के खिलाफ अपनी कार्रवाई जारी रखी. तो विधायक ने IPS को विधानसभा से विशेष अधिकार हनन का नोटिस दिया.
इस नोटिस में विधायक ने आरोप लगाया कि IPS इल्मा अफरोज़ उनकी जासूसी कर रही हैं. इसके बाद से दोनों के बीच तकरार बढ़ती गई और राजनितिक दबाव का मामला बन गया. काफी तनाव के बाद IPS इल्मा अफरोज़ ने अपनी सुरक्षा के मद्देनज़र सरकारी बंगला खली कर दिया और 10 अगस्त को मुरादाबाद अपने घर चली गई.
इस मामले में बीजेपी ने कांग्रेस पर कड़ा हमला बोला है. यूपी बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चे के अध्यक्ष कुंवर बासित अली ने आरोप लगाया है कि हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार अपनी ईमानदार अधिकारियों की सुरक्षा नहीं कर पा रही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के दबंग विधायक की गुंडागर्दी के कारण एक ईमानदार मुस्लिम महिला अधिकारी को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. कांग्रेस और सपा के नेताओं को इस मामले में जवाब देना चाहिए.
इल्मा अफरोज़ का नाम उस वक्त से चर्चा में आया, जब उन्होंने खनन माफियाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरु की थी. वह एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी के रूप में पहचानी जाती हैं. उनकी कार्यशैली और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें स्थानीय लोगों में के आदर्श अधिकारी के रूप में स्थापित किया है. स्थानीय लोगों का कहना है कि IPS इल्मा अफरोज़ एक ऐसी पुलिस अधिकारी हैं, जिन्होंने हमेशा गरीबों की मदद की है.
IPS इल्मा अफरोज़ के अचानक मुरादाबाद लौटने की खबर के बाद, उनके समर्थक और आसपास के लोग उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. इस पूरे घटनाक्रम ने हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है. एक ईमानदार पुलिस अधिकारी के साथ हुए इस व्यवहार को लेकर जनता में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. IPS इल्मा अफरोज़ की स्थिति को देखते हुए यह कहा जा रहा है कि उन्हें जान का खतरा था, और इसीलिए उन्होंने सरकारी बंगला खाली कर दिया.