Friday, March 14, 2025
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छत्तीसगढ़ में अब जुमे का खुतबा वक्फ बोर्ड से अनुमती लेकर होगा

इस फैसले के अनुसार, अब मस्जिदों से बिना वक्फ बोर्ड की मंज़ूरी खुतबा नहीं दिया जाएगा. इस आदेश पर AIMIM के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने राज्य की मस्जिदों में जुमे के खुतबे के पहले बोर्ड से अनुमति प्राप्त करने का आदेश जारी किया है. इस फैसले के अनुसार, अब मस्जिदों से बिना वक्फ बोर्ड की मंज़ूरी खुतबा नहीं दिया जाएगा. इस आदेश पर AIMIM के नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे संविधान के खिलाफ बताया है.

वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सलीम राज ने कहा कि यह फैसला इसलिए लिया गया क्योंकि मस्जिदों को राजनीति का केंद्र बना दिया गया था. कई बार मस्जिदों से फतवे जारी किए जाते हैं, जो राजनीतिक और सामाजिक विवादों को जन्म देते हैं. अब मस्जिदों में किसी भी प्रकार का खुतबा या धार्मिक उपदेश देने से पहले वक्फ बोर्ड की अनुमति लेना आवश्यक होगा. इसके साथ ही, मस्जिदों से जारी होने वाले फतवों पर भी अब वक्फ बोर्ड की निगरानी रहेगी.

छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के इस फैसले पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध जताया है. ओवैसी ने इस फैसले को संविधान के अनुच्छेद 25 के खिलाफ बताया है. उन्होंने अपनी पोस्ट पर लिखा, ‘बीजेपी सरकार का वक्फ बोर्ड चाहता है कि जुमे का खुतबा देने से पहले खतीब साहब अपना खुतबा वक्फ बोर्ड से चेक करवाएं और बिना बोर्ड की इजाज़त के खुतबा ना दें. अब बीजेपी वाले हमे बताएँगे की दीन क्या है? अब क्या हमें अपना दीन मानने के लिए उनसे इजाज़त लेनी पड़ेगी. ओवैसी का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह धार्मिक उपदेशों पर नियंत्रण लगाए. उनके मुताबिक, यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता पर एक प्रहार है और संविधान का उल्लंघन है. ओवैसी का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास ऐसा कोई कानूनी अधिकार नहीं है कि वह धार्मिक उपदेशों पर नियंत्रण लगाए. उनके मुताबिक, यह कदम धार्मिक स्वतंत्रता पर एक प्रहार है और संविधान का उल्लंघन है.

वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने अपने फैसले का बचाओ करते हुए कहा कि यह कदम पूरी तरह से क़ानूनी है और वक्फ अधिनियम के तहत आता है. उनका कहना है कि मस्जिदों के संचालन और देखरेख के लिए मुतवल्ली और इमाम वक्फ बोर्ड के अधीन होते हैं, और किसी भी गतिविधि को करने से पहले वक्फ बोर्ड की अनुमति लेनी होती है.

इस नए आदेश से मस्जिदों में हर शुक्रवार को होने वाले खुतबे पर असर पड़ेगा. अब इमामों को वक्फ बोर्ड से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी होगी, ताकि या सुनिश्चित किया जा सके कि खुतबा राजनीति से प्रभावित नहीं हो. यह आदेश 22 नवंबर, 2024 से लागू होगा.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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