Friday, March 14, 2025
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बाबा साहेब का जीवन परिचय (भेदभाव से कमियाबी तक)

भीमराव अंबेडकर को उनकी जाति के कारण बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्हें स्कूल में अलग बिठाया जाता था और यहां तक कि जिस बोर पर वह बैठते थे, उसे भी स्कूल का सफाई कर्मी छूने से कतराता था.

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Abida Sadaf
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आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

Maharashtra: डॉ. भीमराव अंबेडकर, जिन्हें हम बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जानते हैं. उन्होंने समाज के सबसे निचले स्तर के लोगों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया.  उनके संघर्ष और कार्यों के कारण ही आज भी उनका नाम हर भारतीय के दिल में जीवित है, और हर साल 14 अप्रैल को उनकी जयंती मनाई जाती है.

डॉ. भीमराव अंबेडकर 14 अप्रैल 1891 को मध्य प्रदेश के महू छावनी में जन्मे थे. उनका बचपन कठिनाइयों से भरा हुआ है. वह अपने माता पिता की चौदहवीं संतान थे. उनके पिता रामजी मालोजी सकपाल एक कबीर पंथी थे. भीमराव अंबेडकर को उनकी जाति के कारण बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा. उन्हें स्कूल में अलग बिठाया जाता था और यहां तक कि जिस बोर पर वह बैठते थे, उसे भी स्कूल का सफाई कर्मी छूने से कतराता था. लेकिन इन मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता की नई ऊँचइयाँ हासिल की. वह एक महान शिक्षक, समाजसेवी, पत्रकार, विचारक और राजनेता थे.

डॉ. भीमराव अंबेडकर की शुरूआती शिक्षा सतारा में हुई. उन्होंने 1907 में दसवीं कक्षा पास की और उसके बाद अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए मुंबई के एल्फिसटन कॉलेज में दाखिला लिया. यहां से उन्होंने 1912 में अर्थशास्त्र और राजनितिक विज्ञान में डिग्री हासिल की. इसके बाद उनका शिक्षा सफर विदेश तक पहुंचा, और उन्होंने 1916 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की. यह उनकी शिक्षा और आत्मविश्वास का परिचायक था, क्योंकि उस समय उच्च शिक्षा हासिल करना खासतौर पर दलित वर्ग के लिए बहुत कठिन था. उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो बताता है कि कठिनाइयों और भेदभाव के बावजूद अगर दृढ़ संकल्प और मेहनत हो, तो कोई भी मुश्किल अंसभव नहीं होती.

भीमराव अंबेडकर ने जातिवाद, छुवाछूत और समाजिक भेदभाव के कारण बौद्ध धर्म को अपनाया. वह मानते थे कि हिन्दू धर्म में जातिवाद की जड़ें गहरी हैं, और यह धर्म समाज में दलितों और शोषित वर्ग के लोगों के लिए न्याय और समानता की उम्मीद नहीं दे सकता. उन्होंने 1956 में बौधगया में आयोजित एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में बौद्ध धर्म को अपनाया. इस अवसर पर उनके साथ बड़ी संख्या में लोग बौद्ध धर्म में शामिल हुए.

डॉ. भीमराव अंबेडकर का सबसे बड़ा योगदान भारतीय संविधान के निर्माण में था. 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली, और इसी दौरान डॉक्टर भीमराव को भारतीय संविधान मसौदा समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया. उन्होंने संविधान बनाने में अथक परिश्रम किया, और लगभग तीन साल के कठिन काम के बाद 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को तैयार किया. उनका योगदान सिर्फ भारतीय संविधान तक सीमित नहीं था.  उन्होंने दलित समाज को उनके अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया, और उन्हें समानता का दर्जा दिलवाया.

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  • Abida Sadaf

    आबिदा सदफ बीते 4 वर्षों से मीडिया से जुड़ी रही हैं। इन्किलाब अखबार से अपने पत्रकारिता जीवन की शुरूआत की थी। आबिदा सदफ मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जनपद की रहने वाली हैं.

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