Barabanki: मामला: 5 वर्षीय बच्ची के साथ जघन्य दुष्कर्म
स्थान: थाना रामनगर, ज़िला बाराबंकी
अपराध संख्या: 416/23
एसेसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (APCR) की एक टीम ने राम नगर पुलिस स्टेशन, ज़िला बाराबंकी का दौरा किया और वहां रजिस्टर्ड जुर्म नंबर 416/23 की स्थिति का जायज़ा लिया. इस अपराध में एक 5 वर्षीय बच्ची के साथ जघन्य दुष्कर्म की घटना सामने आई है. टीम का उद्देश्य इस मामले की न्यायिक प्रगति का आकलन करना और पीड़ित परिवार की स्थिति का मुआयना करना था.
इस टीम में आभा शुक्ला (जॉइंट सेक्रेटरी, APCR), सैयद शरीफ अहमद (एडवोकेट), मोहम्मद याकूब (एडवोकेट) और सैयद हबीब (समाजसेवी) शामिल थे. टीम ने थाना रामनगर में जाकर घटनास्थल की जाँच की और पीड़ित परिवार से मुलाकात की. टीम ने इस दौरान पीड़िता की एडवोकेट श्रीमती अमृता और विशेष लोक अभियोजक से भी विस्तृत वार्ता की. प्राप्त जानकारी के अनुसार, अभियुक्त रिंकू वर्मा को दोषी ठहराया जा चुका है. अब मामले में सज़ा के निर्धारण पर सुनवाई लंबित है.
पीड़िता के पिता ने 25 जुलाई 2023 को थाना रामनगर में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि उनकी बेटी कुमारी 25 जुलाई को अपने घर के पास खेत में खेलते हुए अचानक गायब हो गई. काफी समय तक जब बच्ची का पता नहीं चला, तब परिवार ने उसकी तलाश शुरू की. जाँच के दौरान सामने आया कि आरोपी रिंकू वर्मा ने बच्ची को बहला फुसलाकर गन्ने के खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म करके उसे मरा हुआ समझकर उसे वहीं छोड़कर फरार हो गया.
घटना के बाद बच्ची को 26 जुलाई 2023 को गन्ने के खेत से अचेत अवस्था में बरामद किया गया और तत्काल अस्पताल में भर्ती कराया गया. पीड़िता ने अदालत में धारा 164 का ब्यान दर्ज कराया था जिस में तीन अफराद अमरीश मौर्य, लवकुश और रिंकू पर दुष्कर्म पर इलज़ाम लगाया था और साक्षी के रूप में कथन का समर्थन किया था.
तफ्तीश के दौरान अमरीश मोर्य और लवकुश की मोबाईल लोकेशन घटना के वक्त मोके से दूर पाई गई, जिसकी बुनियाद पर उनका नाम केस से हटा दिया गया. अमन सोनी, जिसके पास पीड़िता की पायल बरामद हुई थी, उसको धारा 323/414 IPC के तहत आरोपित किया गया था, लेकिन अदालत ने उसे पहले ही बरी कर दिया था.
APCR की मांग एंव संकल्प
एसेसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राईट्स (APCR) की टीम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि पीड़िता को जल्द इंसाफ मिले और मुजरिमों को सख्त सज़ा मिले. हमारी मांगे हैं:
1) सज़ा की सुनवाई में तेज़ी लाते हुए मुजरिम को सख्त से सख्त सज़ा दी जाए.
2) पीड़िता के परिवार को मुनासिब सेक्योरिटी और आर्थिक सहायता दी जाए.
APCR की टीम इस मामले की निगरानी जारी रखेगी और इंसाफ की लड़ाई में पीड़िता को हर मुमकिन सहयोग करेगी.