Friday, March 14, 2025
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शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर

शिबू सोरेन को पुराने विवादों के चलते 2006 में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई. हालाँकि 23 अगस्त 2007 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया. शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर चुनौतीपूर्ण रहा है

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Jharkhand: शिबू सोरेन एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और नेता हैं. उन्होंने राजनीतिक यात्रा की शुरुआत आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष से की. उनके नेतृत्व में झारखंड राज्य का गठन हुआ, जो आदिवासी समुदाय की पहचान और संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण है. इन्हें “गुरूजी” के नाम से भी जाना जाता है.

शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ ज़िले के एक नेमरा नामक गाँव में हुआ था, जो पहले बिहार राज्य का हिस्सा था. उनका परिवार पूर्वी भारत में संथाल जातीय समूह (आधिकारिक तौर पर अनुसूचित जनजातियों के वर्गीकरण का हिस्सा) के सदस्य थे। संथाल भारत का मुंडा जातीय समूह की एक प्रमुख जनजाति है। वे मुख्य रूप से भारतीय राज्यों झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और असम में रहते हैं.

शिबू सोरेन की स्कूली शिक्षा भी इसी ज़िले में हुई, लेकिन पिता की हत्या ने उनके जीवन को गहरा प्रभावित किया और उन्होंने लकड़ी के व्यापारी के रूप में काम करने के लिए स्कूल छोड़ दिया। 18 वर्ष की उम्र में उन्होंने संथाल नवयुवक संघ की स्थापना की. 1972 में सोरेन ने अन्य नेताओं के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा का गठन किया, जहाँ वह महासचिव बने. इस संगठन ने आदिवासी ज़मीनों की रक्षा के लिए कई आंदोलन किए. सोरेन ज़मींदारों के खिलाफ कारवाई के लिए जाने जाते थे और अक्सर स्वंय अदालते लगाते थे.

शिबू सोरेन ने 1975 में “गैर आदिवासी” लोगों को भगाने के लिए एक अभियान चलाया, जिसमें कई लोगों की मौत हुई. इसके बाद उन पर कई आरोप लगे. उन्होंने 1980 में दुमका से लोकसभा में प्रवेश किया और बाद में कई बार सांसद चुने गए. 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में केन्द्रीय कोयला मंत्री बने, लेकिन उनको एक पुराने अपराधिक मामले के चलते इस्तीफा देना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने राजनीतिक जीवन में वापसी की और 2005 में झारखंड के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त करने में असफल रहे और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. शिबू सोरेन को पुराने विवादों के चलते 2006 में आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई. हालाँकि 23 अगस्त 2007 को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया. शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर चुनौतीपूर्ण रहा है, लेकिन उन्होंने हमेशा आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखा.

शिबू सोरेन के परिवार की राजनीतिक गतिविधियाँ झारखंड की राजनीति में महतवपूर्ण भूमिका निभा रही है. 1975 में रूपी किस्कू से इनका विवाह हुआ था और इनके 3 बेटे और एक बेटी है. इनके बेटों का नाम दुर्गा सोरेन, हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन हैं बेटी अंजलि सोरेन. हेमंत सोरेन वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं इनके बड़े भाई दुर्गा सोरेन 1995 से 2005 तक जामा क्षेत्र से विधायक रहे हैं और इनकी पत्नी सीता सोरेन भी जामा की पूर्व विधायक रह चुकी हैं वर्तमान में भाजपा की सक्रिय हैं. हालांकि 21 मई 2009 को दुर्गा सोरेन का देहांत हो गया था. बसंत सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा की युवा शाखा के अध्यक्ष हैं और दुमका से विधायक के रूप में कार्यरत हैं.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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