Friday, March 14, 2025
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भंवर मेघवंशी की आरएसएस छोड़ने की कहानी और इसके पीछे के कारण

भंवर मेघवंशी का आरएसएस छोड़ने का निर्णय केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता का संकेत है

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Iram Fatima
Iram Fatima
मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

Rajasthan: भंवर मेघवंशी, एक समर्पित दलित कार्यकर्ता और पत्रकार हैं, जिन्होंने समाज में व्याप्त असमानताओं के खिलाफ अपनी आवाज़ उठाई है. आरएसएस छोड़ने के बाद उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करना शुरू किया. वह एक सक्रिय कार्यकर्ता और पत्रकार हैं, जिन्होंने दलित मुद्दों पर कई महत्वपूर्ण लेख लिखे है.

भंवर मेघवंशी का जन्म 1975 में राजस्थान के एक छोटे से गाँव में हुआ था. उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि साधारण थी, लेकिन उन्होंने शिक्षा के प्रति अपने परिवार के समर्पण को महसूस किया और 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे. आरएसएस में बिताए गए वर्षों के दौरान भंवर मेघवंशी ने संगठन की गतिविधियों में भाग लिया और वहां की कार्यशैली को समझा. वह पूरी तरह से आरएसएस की चपेट में आगये थे लेकिन जब उन्होंने महसूस किया कि संघ का मुख्य ध्यान हिन्दू समुदाय की सशक्तिकरण पर था, लेकिन दलित समुदाय और अन्य पिछड़े वर्गों की समस्याएँ अक्सर उपेक्षित रह जाती है.

भंवर मेघवंशी के लिए दलित समुदाय के अधिकार और उनकी समस्याएँ महत्वपूर्ण थी. उन्होंने देखा दलितों की कोई इज्ज़त नहीं उनके घर के खाने को नहीं खाया जाता, कक्षा में सबसे अलग बैठाया जाता और समाज से अलग समझा जाता. तब उन्हें एहसास हुआ जिनके लिए हम मरने को तैयार थे वही लोग हमे कुछ नहीं समझते. उसी दौरान उन्होंने आरएसएस को छोड़ने का सोचा और इस असमानता के खिलाफ उन्होंने आवाज़ उठाने का निर्णय लिया.

आरएसएस छोड़ने के बाद, भंवर मेघवंशी ने दलित आंदोलन में सक्रियता से भाग लेना शुरू किया. इस असमानता को खत्म करने के लिए उन्होंने अपनी लेखनी का सहारा लिया. भंवर ने दलित मुद्दों पर लेख लिखना शरू किया, जिससे वह एक प्रमुख पत्रकार और विचारक के रूप में उभरे. उन्होंने अपने लेख के माध्यम से दलित समुदाय की समस्याओं को उजागर किया. उनकी लेखन शैली सरल और प्रभावी है, जिससे आम जनता तक उनके विचार पहुंचते हैं. भंवर मेघवंशी ने “मै एक स्वंयसेवक था”, इस किताब में आरएसएस के साथ अपने अनुभवों और विचारों को साझा किया है. इनकी सबसे प्रसिद्ध किताब है “मै हिन्दू नहीं हूँ” इसमें इन्होंने अपनी पहचान, धार्मिक विचारों और सामाजिक मुद्दों पर गहराई से चर्चा की है.

भंवर मेघवंशी वर्तमान में सिरदियास में अंबेडकर भवन की देखरेख कर रहे हैं. यह भवन डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का प्रतीक है और दलित समुदाय के लिए एक महतवपूर्ण स्थान. यहाँ वह दलित समुदाय के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं, जिससे उन्हें सशक्त करने की दिशा में कार्य किया जा सके. भंवर मेघवंशी का आरएसएस छोड़ने का निर्णय केवल एक व्यक्तिगत निर्णय नहीं था, बल्कि यह एक सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता का संकेत है. उनके कार्य और विचार आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बने रहेंगे.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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