कुर्द एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण जाति हैं, जो मुख्य रूप से मध्य पूर्व के विभिन्न देशों में रहती हैं. कुर्दों का एक अलग इतिहास, संस्कृति और भाषाई पहचान है, जिसके कारण दुनिया के विभिन्न देशों में अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में रहते हैं. यह ईरान, ईराक, तुर्की, अर्मेनिया, सीरिया, जर्मनी और अन्य देशों में भी पाए जाते हैं.
कुर्दों अक इतिहास बहुत पुराना है. वह मेसोपोटामिया (इराक) के मूल निवासी माने जाते हैं. ऐतिहासिक रूप से कुर्द एक खानाबदोश समुदाय रहे हैं, जो मुख्य रूप से पहाड़ी इलाकों में रहते हैं. वह अपने जानवरों, जैसे भेड़ बकरियों के साथ जीवन यापन करते हैं. प्रसिद्ध मुस्लिम शासक सलाउद्दीन अय्यूबी भी कुर्द समुदाय से ही ताल्लुक रखते थे. कुर्दों में मुख्य रूप से सुन्नी मुसलमान होते हैं, लेकिन इनके बीच शिया, इसाई, यहूदी, यज़ीदी, अल्वी और सूफी भी पाए जाते हैं.
कुर्दों का संघर्ष लंबे समय से राजनितिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता के लिए चल रहा है. जब 1923 सरहदे निज़ाम का कयाम हुआ, तो कुर्दों को किसी भी देश का हिस्सा नहीं माना गया और उन्हें एकजुट होने का मौका नहीं मिला. इस कारण वह विभिन्न देशों में बिखर गए. कुर्दों के प्रमुख संघर्षों में PKK का संघर्ष शामिल है, जिसे अब्दुल्लाह ओज़लान ने 1978 में स्थापित किया था. PKK ने तुर्की सरकार से कुर्दों की स्वायत्तता के लिए बात चीत शुरू की, लेकिन जब इसका कोई परिणाम नहीं निकला, तो 1984 में उन्होंने हथियार उठा लिए और सशस्त्र संघर्ष शुरू कर दिया.
तुर्की की कुल आबादी का 20% हिस्सा कुर्दों का है. 1990 के दशक में, तुर्की सरकार ने कुर्दों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की. इसके बावजूद कुर्दों ने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखा. PKK की ओर से शुरू किए गए इस सशस्त्र संघर्ष ने तुर्की में भारी राजनितिक और सामाजिक उथल-पुथल मचाई. हालांकि, तुर्की में कुर्दों की आज़ादी की मांग के बावजूद, 2012 के दशक में कुछ बातचीत और शांति की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन 2015 में फिर से संघर्ष तेज़ हो गया.
सीरिया में भी कुर्दों की स्थिति बहुत कठिन है. 2011 में बशर अल असद के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ था, इसी दौरान कुर्दों ने अपनी स्वतंत्रता की मांग की. 2012 में कुर्दों ने YPG नामक एक संगठन की स्थापना की और असद शासन के खिलाफ लड़ाई शुरू की. जब ISIS का उभार हुआ, तो अमेरिका ने कुर्दों की मदद की उन्हें प्रशिक्षण और हतियार दिए, ताकि वह ISIS से लड़ सकें. कुर्दों का संघर्ष तब और बढ़ गया जब 2019 में तुर्की ने सीरिया के कुर्द इलाकों पर हमला कर दिया, जिससे क्षेत्र में स्थिति और जटिल हो गई.
ईराक में विशेष रूप से कुर्दिस्तान क्षेत्र में कुर्दों को कुछ हद तक स्वायत्तता प्राप्त है. इराक में 2003 में सद्दाम हुसैन की सरकार के पतन के बाद कुर्दों को अपनी स्थिति मज़बूत करने का मौका मिला. 2005 में ईराक की संविधान सभा में कुर्दों को एक अलग क्षेत्र के रूप में पहचान दी गई, और 2006 में जलाल तालिबानी को इराक का राष्ट्रपति चुना गया. हालांकि, इराक में भी कुद्रों को अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना पड़ा है. 2017 में, कुर्दों ने एक रेफेरेंडम कराया, जिसमें उन्होंने ईराक से अलग होने की इच्छा जताई, लेकिन इराकी सरकार ने इसका विरोध किया और कुर्दों पर दबाव डालकर उनके इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
कुर्दों का संघर्ष आज भी जारी है, वह अपनी स्वतंत्रता और अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. उनके पास अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान बचाने की मज़बूत इच्छा है, और वह विभिन्न देशों में अपनी स्थिति को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.