Bengaluru: अतुल सुभाष नाम के 34 साल के एक शख्स की मौत से पूरे देश में हंगामा मच गया है. 9 दिसंबर 2024 को अपनी मौत से पहले अतुल ने 1 घंटे 21 मिनट का एक वीडियो रिकॉर्ड किया था, जिसमें उन्होंने अपनी मौत की वजह बताई और उन लोगों के नाम बताए जो उनकी मौत के लिए ज़िम्मेदार थे। इसके बाद उन्होंने आत्महत्या कर ली. इस वीडियो को सुनकर हर किसी का दिल टूट गया, लेकिन अतुल ने मौत को गले लगाने का फैसला क्यों किया है? आइए हम आपको बताते हैं.
कहते हैं मरा हुआ आदमी कभी झूठ नहीं बोलता, अगर यह सच है तो अतुल सुभाष ने जो कहा है वह हर नागरिक की पसंद का मामला बन गया है. दरअसल, बिहार के समस्तीपुर का एक युवक जो पढ़ने-लिखने में काफी अच्छा था, साथ ही उसने इंजीनियरिंग भी की और सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के बाद उसकी शादी की बारी आई. लड़की उत्तर प्रदेश के जौनपुर की रहने वाली थी, उसका नाम निकिता सिंघानिया था। अतुल के घर वालों ने देखा की लड़की अच्छी लग रही है, दोनों की शादी हो सकती है और 26 अप्रैल 2019 को उनकी शादी हो गई.
अतुल को नौकरी मिल गई और उन्होंने AI के अच्छे वेतन के साथ बेंगलुरु में एक AI कंपनी में काम करना शुरू कर दिया. समय के साथ, अतुल ने AI में महारत हासिल कर ली और एक अच्छे कृत्रिम बुद्धिमत्ता अधिकारी के रूप में काम करना शुरू कर दिया। काम ऐसा था की अतुल की सैलरी लाखों में थी, लाखों की यही सैलरी उनके लिए विवाद बन गई. हुआ यूं की जिस लड़की से उसकी शादी हुई थी, वह और उसके ससुराल वाले, बहुत लालची निकले. शादी के बाद से ही उनकी नज़र सुभाष के पैसों पर थी।
आख़िरकार समय बीतता गया अतुल सुभाष और उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया दोनों बेंगलुरु में बस गए, इस दौरान निकिता गर्भवती हो गईं और शादी के एक साल बाद 2020 में निकिता ने एक बच्चे को जन्म दिया। तब तक सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन उसके बाद निकिता और अतुल सुभाष के रिश्ते में दरार आने लगती है। वहीं अतुल के मुताबिक दोनों के बीच झगड़े की वजह निकिता की मां थीं.
अतुल ने बताया कि निकिता की मां बेंगलुरु आई थीं, उन्होंने इसी दौरान अपनी बेटी को पढ़ाना शुरू कर दिया और निकिता अपनी मां के नक्शेकदम पर चलने लगी. यह सब चल ही रहा था कि इसी दौरान निकिता की मां और उनके बेटे ने बिज़नेस करने के लिए अतुल से पैसे मांगने शुरू कर दिए. उसने तीन किस्तों में कुल 16 लाख रुपये का भुगतान किया। लेकिन कुछ दिन बाद निकिता की मां ने 50 लाख रुपये की मांग की और कहा कि हम जौनपुर के मुख्य बाज़ार में 1 करोड़ रुपये का घर खरीदना चाहते हैं, जिसमें नीचे दुकान और ऊपर मकान होगा. हम यह सारा पैसा लौटा देंगे.
अतुल को समझ आ गया था कि उसके ससुराल वाले कैसे हैं और वह क्या चाहते हैं. इसलिए वह आगे के पैसे देने के बजाय अपने पिछले पैसे मांगने लगा। और पैसे वापस मांगना अतुल को भारी पड़ गया. अतुल की पत्नी झगड़ा करने लगी और काफी कहने के बाद 25 अप्रैल 2021 को निकिता ने अतुल को डेढ़ लाख रुपये लौटा दिये. लेकिन इस बीच 50 लाख की डिमांड जारी रही. अतुल ने निकिता की मां को एक भी रुपया न देने का फैसला किया. जब अतुल बाकी पैसे मांगने लगा तो निकिता की मां ने कहा कि हम बाकी पैसे नहीं देंगे, लेकिन निकिता अपनी नई कंपनी की नौकरी से जो भी कमाएगी, उसमें कटौती होती रहेगी। लेकिन अतुल इन सारी चालों को समझ रहे थे और वह कभी मानने वाले नहीं थे, इसलिए यह सारी लड़ाई चलती रही.
अतुल सुभाष और निकिता मई 2021 तक साथ रहें, फिर दोनों अलग हो गए. इसके बाद निकिता ने अतुल के खिलाफ केस दर्ज कराया और कुल 9 केस किये गये. इनमें आईपीसी की धारा 302 का मामला भी था, यानी हत्या का मामला. और हत्या का मामला कुछ इस तरह था कि जिस साल अतुल और निकिता की शादी हुई, उसके कुछ महीने बाद अगस्त 2019 में अतुल के ससुर की मौत हो गई. निकिता ने इस मौत का ठीकरा अतुल पर फोड़ दिया और कहा कि अतुल ने 10 लाख रुपये दहेज की मांग की थी, उसके सदमे से मेरे पिता की मौत हो गयी.
दिलचस्प बात यह है की निकिता केस दर्ज करने से पहले मई 2021 तक अतुल के साथ उनकी पत्नी के रूप में रह रही थीं। जब मौत 2019 में हुई थी, तो मुकदमा उसी समय दर्ज किया जाना चाहिए था. हालाँकि निकिता ने 2023 में केस यह कहते हुए वापस ले लिया की मेरे वकील ने उनकी तरफ से केस दायर किया है, लेकिन इससे भी अजीब बात यह है कि जब केस दायर किया गया था, तो वह इसके लिए सहमत थीं, लेकिन बाद में उन्होंने बयान दिया कि मेरे पिता की मृत्यु दहेज मांगने से नहीं बल्कि उनकी तबीयत काफी समय से खराब चल रही थी इसी कारण हुई. इसलिए केस वापस ले लिया गया.
इसके अलावा एक और मामला जो महिलाओं का बेहद पसंदीदा मामला है. और वह धारा 498A का मामला, इसमें तीन साल की सजा का प्रावधान है। वैसे एक और मामला था, जिसमें भरण-पोषण की याचिका दायर की गई थी. वहीं निकिता सिंघानिया ने अपने और अपने बेटे के लिए गुज़ारा भत्ता मांगा और कोर्ट ने 80,000 रुपये मासिक गुज़ारा भत्ता देने का आदेश दिया. निकिता को 40 हज़ार और बच्चे को 40 हज़ार. निकिता के लिए 80 हज़ार कम हैं, इसके लिए वह हाई कोर्ट गई हैं।
जब यह सभी केस चल रहे थे तो निकिता ने ऑफर दिया की अगर अतुल सुभाष चाहें तो वह 1 करोड़ रुपये में पूरा केस निपटा सकते हैं. फिर बात 3 करोड़ तक पहुंच गई और जब 3 करोड़ की बात आई तो अतुल ने कहा की मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। और अतुल ने बताया है, जौनपुर में म्युनिसिपल फैमिली कोर्ट की एक जज थीं, उनका नाम रीता कौशिक है। उसने अपने लिए समझौता करने के लिए 5 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। तो 3 करोड़ रुपये पत्नी को देने होंगे. और जज को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे.
अतुल ने इसलिए अपने वीडियो में अपनी मौत के लिए ज़िम्मेदार पांच लोगों का नाम लिया है। सबसे पहला नाम जज साहब का लिया, फिर उनकी पत्नी निकिता. उसके बाद सास, चाचा और साला इन पांच लोगों को अतुल ने ज़िम्मेदार बताया है. अतुल ने कहा की 80 हज़ार गुज़ारा भत्ता देने का अंतरिम आदेश दिया गया था, अगर मैं इस आदेश को स्वीकार कर लूंगा तो कल वह कहेंगे कि मेरा खर्च बढ़ गया है, इसलिए मुझे और चाहिए यह सिलसिला चलता रहेगा. और अगर आप केस लड़ते हैं तो केस कुछ ऐसा होता है कि जज से लेकर अभियोजक तक सब रिश्वत लेते रहते हैं और तुम्हें इतना परेशान किया जाएगा कि तुम थककर बैठ जाओगे.
अतुल सुभाष बताते हैं कि पिछले ढाई से तीन साल में 120 तारीखें हो चुकी हैं. जिनमें से 40 तारीखों पर मैं खुद बेंगलुरु से आया हूं और बाकी तारीखों में मेरे पापा और भाई शामिल हुए हैं. उनका कहना है कि मैं जिस कंपनी में काम करता हूं, वहां साल में कुल 23 छुट्टियां होती हैं। और दिन के बीच में कोर्ट में कोई काम नहीं होता. कभी-कभी जज अनुपस्थित रहते हैं. कभी-कभी वकील हड़ताल पर चले जाते हैं। तो कभी-कभी शोक भी होता है. इन सब बातों से तंग आकर अतुल ने अपनी जान दे दी.
अतुल की पहली इच्छा थी की मेरा बेटा जो 4 साल का है, इसे मेरे माता-पिता को दे दो। दूसरी इच्छा जताते हुए अतुल ने कहा कि मैं अपने माता-पिता और भाई से कहूंगा की मेरी पत्नी के परिवार से बिना कैमरे के न मिलें, वह तुम्हें किसी भी हालत में फंसा देंगे। तीसरा यह की निकिता या उसके परिवार का कोई भी व्यक्ति मेरे मृत शरीर के पास न आये। चौथा यह की जब तक मेरे उत्पीड़कों को दण्ड न मिल जाए, तब तक मेरा विसर्जन न किया जाए। इतने सारे सबूतों और सब कुछ जानने के बावजूद, अगर न्यायाधीश और अदालत मेरे उत्पीड़कों को दंडित नहीं करती है, तो मेरे शरीर को अदालत के बाहर किसी नाले में फेंक दिया जाना चाहिए, ताकि मुझे यह पता चले और मुझे हमेशा यह सबक मिलता रहे कि जिंदगी कैसी होती है इस देश में. और मेरी न्यायपालिका से प्रार्थना है कि मेरे परिवार वाले मेरे भाई को इन झूठे मामलों में और अधिक परेशान न करें। बल्कि इसका बहिष्कार किया जाना चाहिए.
अतुल सुभाष ने यह सारी बातें कही और सबसे अहम बात जो उन्होंने कही वह यह कि अगर न्याय नहीं मिला तो मेरी लाश को कोर्ट के बाहर नाले में फेंक दिया जाए. यह दिल दहलाने वाला है कि क्या अतुल का परिवार ऐसा करेगा. यह इच्छा इतनी अजीब और सशर्त है कि बहुत ही विरोधाभासी स्थिति पैदा करती है। क्योंकि कोर्ट व्यवस्था ऐसी है कि यहां न्याय की देवी की आंख बंद है. अतुल ने कहा कि इस वीडियो को देखकर आपको भी पता चलेगा की कैसे एक लड़की किसी भी आदमी और उसके पूरे परिवार को बर्बाद कर सकती है. और क्या हम ऐसे कानून में अपना विश्वास रख सकते हैं।