Assam: आजकल बहुत से लोग अपनी ज़िंदगी में आने वाली परेशानियों का सामना करते हैं. कुछ लोग इन परेशानियों से हौसला और हिम्मत हार जाते हैं, जबकि कुछ लोग इनसे कुछ सकारात्मक सीखने की कोशिश करते हैं और दूसरों की मदद करने के लिए आगे आते हैं. ऐसे ही एक प्रेरणादायक शख्स हैं असम के अहमद अली, जिनका नाम देशभर में स्कूलों की स्थापना और बच्चों की शिक्षा के लिए चर्चा में है.
आइये जानते हैं अहमद अली के बारे में
अहमद अली की ज़िंदगी उतार-चढ़ाव से भरी रही है. वह असम के करीमगंज ज़िले के एक छोटे से गाँव के रहने वाले हैं. उनकी ज़िंदगी के शुरूआती साल बहुत मुश्किलों में गुज़रे. अहमद अली की दो पत्नियाँ और सात बच्चे हैं. माली मजबूरियों की वजह से वह खुद स्कूल नहीं जा पाए और अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके. वह पहले रिक्शा चालक थे और उनका जीवन रोज़ की कठिनाइयों से जूझते हुए चलता था. लेकिन इस दौरान, उन्होंने एक अहम फैसला लिया, जो उनकी ज़िंदगी की दिशा को बदलने वाला साबित हुआ.
अहमद अली ने महसूस किया कि शिक्षा सबसे अहम चीज़ है जो किसी भी शख्स की ज़िंदगी को बेहतर बना सकती है. उन्होंने यह फैसला किया कि वह खुद भले ही पढ़े लिखे नहीं हैं, लेकिन वह गरीब बच्चों को शिक्षा देने का काम करेंगे. इसके लिए उन्होंने कई सालों तक कड़ी मेहनत की, ताकि बच्चे बेहतर शिक्षा हासिल कर सके. अहमद अली के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह स्कूल बनाने का ख्वाब पूरा कर सकें. लेकिन उनकी इच्छाशक्ति और समर्पण के आगे उनकी यह कमी भी दूर हो गई. उन्होंने अपनी ज़मीन बेच कर उन पैसो से एक स्कूल की शुरुआत की, साथ ही गाँव के लोगों ने भी उनकी मदद की.
अहमद अली ने 1978 में, पहला स्कूल खोला और यह स्कूल बच्चों के लिए एक नई उम्मीद बन गया. उन्होंने अब तक अपने गाँव और आसपास के क्षेत्रों में 9 स्कूल खोले हैं. इनमें तीन लोवर प्राइमरी स्कूल, पांच इंग्लिश मीडियम स्कूल और एक हाई स्कूल शामिल हैं. उनकी यह पहल न केवल बच्चों के लिए शिक्षा का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करती है, बल्कि यह भी ज़ाहिर करता है कि अगर इरादा मज़बूत हो तो कोई भी मुश्किल काम नहीं है.
अहमद अली का कहना है कि उनका ख्वाब था कि उनके गाँव के बच्चे भी अच्छी शिक्षा हासिल करे, ताकि वह भी एक बेहतर ज़िंदगी गुज़ार सकें. इस मकसद के लिए उन्होंने कई सालों तक संघर्ष किया. यह उनकी मेहनत और लग्न का ही नतीजा है कि आज उनके बनाए स्कूलों में सैकड़ों बच्चे शिक्षा हासिल कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अहमद अली की तारीफ़ की है. उन्होंने मन की बात के 42वें संस्करण में अहमद अली की चर्चा की और उनके काम की सराहना की. यह उनके लिए एक बड़ी सफलता की बात है.
अहमद अली की कड़ी मेहनत और उनके योगदान को न सिर्फ उनके गाँव के लोग, बल्कि देशभर में सराहा गया है. वह अबतक 9 स्कूल खोल चुके हैं, लेकिन उनका ख्वाब यहीं खत्म नहीं हुआ, अब एक कॉलेज खोलने की प्रक्रिया में हैं. अहमद अली ने खुद गरीबी और मुश्किलों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. उनकी कहानी संघर्ष, समर्पण और शिक्षा के प्रति प्यार की मिसाल बन गई है.