Delhi: 2024 के लिए ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) ने दुनिया भर में भ्रष्टाचार के स्तर को लेकर एक चिंताजनक तस्वीर पेश की है. भारत को इस साल के सूचकांक में 96वें स्थान पर रखा गया है, जो कि पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे है. भारत का स्कोर 38 अंक रहा, जो 2023 में 39 अंक था. इस गिरावट को लेकर सवाल उठने लगे हैं कि क्या पीएम मोदी के कार्यकाल में भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में सरकार सफल नहीं हो पाई.
भारत में भष्टाचार के मामलों में बढ़ोतरी का यह नया संकेत 2024 की रैंकिंग में सामने आया है. 2023 में भारत की स्थिति 93वीं थी, जो अब गिरकर 96वीं हो गई है. यही नहीं, 2022 में भारत 40वें स्थान पर था, यानी पिछले दो सालों में भारत की स्थिति में लगातार गिरावट आई है. अगर हम 2005 से 2013 तक की यूपीए सरकार और मोदी सरकार की तुलना करें तो यह स्पष्ट होता है कि 2014 के बाद से भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं.
भारत ने भ्रष्टाचार का स्तर 2014 में एनडीए सरकार के आने के बाद कुछ समय तक बेहतर हुआ था, जब 2015 में भारत 85वें स्थान पर था. लेकिन धीरे-धोरे भ्रष्टाचार के मामले फिर से बढ़ने लगे और 2024 तक यह गिरकर 96वें स्थान पर पहुंच गया. इस दौरान सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाए, जैसे नोटबंदी और जीएसटी, लेकिन इस कदमों के बावजूद भ्रष्टाचार पर काबू पाना मुश्किल साबित हुआ है.
भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति भी चिंताजनक है. पाकिस्तान इस सूची में 135वें स्थान पर है, जबकि श्रीलंका का स्थान 12वां है. इन दोनों देशों की रैंकिंग अब भी काफी खराब मानी जाती है. खासतौर पर पाकिस्तान में भ्रष्टाचार एक बहुत बड़ी समस्या है, जो पूरी सरकार और प्रशासन के कामकाज को प्रभावित कर रही है. इसके अलावा, बांग्लादेश की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है. बांग्लादेश की रैंकिंग में भारी गिरावट आई है और अब यह 149वें स्थान पर है. यह दिखता है कि दक्षिण एशिया में भ्रष्टाचार की स्थिति लगातार खराब हो रही है, जो क्षेत्रीय विकास के लिए भी एक बड़ी चुनौती बन चुकी है.
अगर हम इस सूची में सबसे कम भ्रष्टाचार वाले देशों की बात करें तो फिनलैंड और सिंगापुर हैं. इन देशों में भ्रष्टाचार के मामलों को गंभीरता से लिया गया है, और उनके प्रभावी सिस्टम ने उन्हें दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में शामिल कर लिया है. इन देशों में पारदर्शिता और प्रशासन की सख्त निगरानी के चलते भ्रष्टाचार के मामलों में भारी कमी आई है. 2024 की रिपोर्ट में यह साफ़ दिखता है कि एशियाई देशों में भ्रष्टाचार की स्थिति लगातार खराब हो रही है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एशिया में अधिकांश देशों के नेताओं ने भ्रष्टाचार के मामलों को सख्ती से नहीं लिया है और स्वतंत्र मीडिया पर हमले जारी रहे हैं, जिसके कारण भ्रष्टाचार के मामले बढ़े हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बनी हुई है. हालांकि, 2012 के बाद से 32 देशों ने भ्रष्टाचार को कम करने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन 148 देशों में यह समस्या स्थिर रही है या बदतर हो गई है. दुनिया के अधिकांश देशों में भ्रष्टाचार का स्तर अभी भी 50 अंक से नीचे है, जो कि एक गंभीर चिंता का विषय है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन देशों के नागरिकों का जीवन भ्रष्टाचार से प्रभावित हो रहा है और मानवाधिकारों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है.
भारत में भ्रष्टाचार पर काबू पाना एक बड़ी चुनौती है. हालांकि सरकार ने कई प्रयास किए हैं, जैसे कि डिजिटल इंडिया, आरटीआई (RTI), और भ्रष्टाचार के खिलाफ कठोर कदम उठाने की कोशिशें, फिर भी भ्रष्टाचार की समस्या पूरी तरह से सुलझ नहीं पाई है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार को पारदर्शिता, प्रशासनिक सुधार, और मीडिया की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना होगा.