Friday, March 14, 2025
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मौलाना बदरुद्दीन अजमल (एक प्रभावशाली नेता)

बदरुद्दीन अजमल नें एक फाउंडेशन की भी स्थापना की जो ‘अजमल सुपर 40’ के नाम से जाना जाता है इस योजना के तहत हर साल 40 मेधावी छात्रों का चयन किया जाता है. इन छात्रों को इंजीनियरिंग और मेडिकल में प्रवेश की तैयारी करवाई जाती है.

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Iram Fatima
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मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

ASSAM: मौलाना बदरुद्दीन अजमल जो भारत के सबसे अमीर राजनेताओं में से एक है. वह असम राज्य के एक व्यापारी, राजनीतिज्ञ, परोपकारी और इस्लामी धर्मशास्त्र हैं. मौलाना बदरुद्दीन अजमल का जीवन और कार्य युवाओं के लीए प्रेरणा का स्त्रोत हैं उन्होंने समाज में शिक्षा और विकास के लिए कई पहल की है. आज वह एक प्रेरणास्रोत है, जिन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की है.

बदरुद्दीन अजमल का जन्म 12 फरवरी 1950 को मध्य असम के होजई में बंगाली के मुस्लिम परिवार में हुआ था. उनके पिता हाजी अजमल अली और माँ मरयमुन्नेसा थीं. इनके पिता किसान थे, बाद में इत्र बनाने वाले ‘अगर के पेड़’ का कारोबार शुरू किया. जब कारोबार में सफलता हासिल हुई, तब पूरा परिवार मुंबई चला गया और वहाँ इत्र का बड़ा व्यवसाय खड़ा किया. जिसके बाद “अजमल परफ्यूम” ब्रांड तेज़ी से मध्य पूर्व में प्रसिद्ध हो गया. आज आजमल परफ्यूम के शोररूम दुबई साहित कई देशों में है. अजमल नें अपनी प्राम्भिक शिक्षा होजाई के अली नगर स्कूल से प्राप्त की बाद में दारुल उलूम देवबंद में अरबी में फ़ाज़िल ए देवबंद की डिग्री हासिल की.

मौलाना बदरुद्दीन अजमल को मदरसा स्नान्कों को आधुनिक शिक्षा प्रदान करने के लिए जाना जाता है. वह मुंबई में माकार्रुल मारिफ एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर चला रहें हैं, जो छात्रों को अंग्रेज़ी भाषा में प्रशिक्षित करता है. इसके इलावा असम में मरियम अजमल के नाम से एक कॉलेज की भी स्थापना की है. यह कॉलेज महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. उन्होंने करीमगंज के बदरपुर के पास मलुआ में एक अस्पताल भी स्थापित किया, जिसका नाम बदरपुर अस्पताल है.

मौलाना बदरुद्दीन अजमल राजनीति में आना नहीं चाहते थे लेकिन जमीयत उलेमा ए हिन्द चाहती थी कि मौलाना अजमल असम की राजनीति में आएं. उन्होंने राजनीतिक शुरुआत 2005 में की जब सुप्रीम कोर्ट ने अवैध प्रवासियों से संबंधित अधिनियम को ख़ारिज किया. इसके बाद उन्होंने एक राजनितिक दल “असम यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट” की स्थापना की, जिसका नाम 2013 में बदलकर ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) रखा गया. 2006 में असम विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने 10 सीटें जीतने में सफलता पाई. 2011 में 18 सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की. हालांकि 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत हुई और मौलाना बदरुद्दीन अजमल सलमारा दक्षिण से हार गए. मौलाना अजमल का लोक सभा संसदीय क्षेत्र धुबरी है.

मौलाना बदरुद्दीन अजमल अपनी धार्मिक और सामाजिक गतिविधियों के कारण मुसलमानों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. लोग उन्हें नेता के साथ साथ इस्लामिक धर्मगुरु के रूप में देखते हैं. असम की राजनीति में अपनी अहम जगह बना चुके बदरुद्दीन अजमल का नाम 2004 से पहले प्रदेश में कम ही सुनाई देता था. उनका राजनीतिक सफर कई चुनौतियों और सफलताओं से भरा है. बदरुद्दीन अजमल नें एक फाउंडेशन की भी स्थापना की जो ‘अजमल सुपर 40’ के नाम से जाना जाता है इस योजना के तहत हर साल 40 मेधावी छात्रों का चयन किया जाता है. इन छात्रों को इंजीनियरिंग और मेडिकल में प्रवेश की तैयारी करवाई जाती है.

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  • Iram Fatima

    मेरा नाम इरम फातिमा है। मैं मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हूं और मैंने पत्रकारिता करियर दो साल पहले एक अखबार के साथ शुरू किया था और वर्तमान में पिछले कुछ महीनों से डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सक्रिय हूं और ग्लोबल बाउंड्री में असिस्टेंट कंटेंट प्रोडूसर के रूप में काम कर रही हूं।

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